उत्तरी कश्मीर के सोपोर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के दो स्थानीय आतंकवादियों के मारे जाने के साथ ही इस साल अब तक घाटी में कुल 82 आतंकवादी मारे गए हैं. मारे गए आतंकियों में लश्कर का कमांडर फ़याज़ वॉर भी शामिल था जिस के मारे जाने के बाद अब उत्तरी कश्मीर में लश्कर के सभी टॉप के कमांडरो का अंत किया गया है.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने कश्मीर जोन के आईजी विजय कुमार के अनुसार इस साल अकेले जुलाई के महीने में 27 आतंकवादी मारे गए हैं. जिन में से आज वारपोरा सोपोर में मारे गये आतंकी- कमांडर फ़याज़ वॉर और शाहीन मोवली भी शामिल है.
मारे गए 82 आतंकियों में सब से जायदा 43 लश्कर-ऐ-तोइबा से जुड़े हैं और बाकी हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), अल-बद्र, जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) और अंसार गजवत-उल-हिंद के हैं." 19 जुलाई को शोपियां में सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर में लश्कर के सबसे पुराने कमांडर इशफाक डार अबू अकरम को मार गिराया.
ऑपरेशन ऑल आउट पार्ट 2 के तहत हो रही कार्रवाई
एक पूर्व पुलिसकर्मी रहा इशफाक 2017 में आतंकी संगठन में शामिल हुआ था और दक्षिण कश्मीर में कई आतंकी वारदात में शामिल होने के साथ-साथ नए आतंकी भर्ती करने और उनकी ट्रेनिंग का काम भी करता था. इससे पहले 14 जुलाई को सुरक्षा बलों ने पुलवामा में एक मुठभेढ़ में लश्कर के पाकिस्तानी कमांडर एजाज़ अबू हुरैरा और 16 जुलाई को श्रीनगर के दानमार इलाके में इरफ़ान और बिलाल नाम के दो आतंकी मारे. जिनका तालुक इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू एंड कश्मीर (ISJK) से था. लेकिन यह सब करवाई सुरक्षाबलों की तरफ से चलाये जाने वाले- ऑपरेशन ऑल आउट पार्ट 2- के तहत हो रहा है.
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता वाली यूनिफाइड हेड क्वार्टर (UHQ) के बैठक में आतंक के खिलाफ आखिरी प्रहार करने के लिए ग्रीन सिग्नल दिया गया. नेए ऑपरेशन में- आतंकियों के टॉप कमांडर का सफाया, सरहदों पर घुसपैठ पर पूरी तरह नकेल कसना, सरहद पार से आने वाले हथियार और पैसे को ढूंढना और प्रदेश के अंदर सभी आतंकी समर्थकों की गिरफ्तारी और घरो में बनाये गए ठिकानों को नष्ट करना शामिल है.
इसी बदली हुई नीति के तेहत हंदवारा में हिजबुल के सब से बड़े कमांडर मेहराज-उ-दीन हलवाई का 7 जुलाई, लश्कर के सोपोर के कमांडर नदीम अबरार (29 जून) को उसके पाकिस्तानी साथी के साथ मार गिरयाया गया. साथ ही जिस मकान में इनके हाईडआउट बने थे उनको विस्फोटको से उड़ाया गया.
आतंक के रस्ते पर जाने वाले लड़कों को रोका जा रहा
कमांडरों को निशाना बनाने के साथ सुरक्षा बल इसी नयी रणनीति के तहत आतंक के रस्ते पर जाने वाले लड़कों को भी रोकने का काम कर रही है. 20 जुलाई को ही अनंतनाग पुलिस ने 14 ऐसे भटके हुए युवाओं को बचाया जो आतंक के रस्ते जाने वाले थे.
इसी दोहरी रानिती का नतीजा है कि अब आतंकी कश्मीर में अपनी ज़मीन खो चुके हैं. ना तो सरहद पार से कोई आतंकी कश्मीर में घुसने में कामयाब हो रहा है और ना ही सिथान्य युवा उनके साथ मिल रहे हैं.
उत्तरी कश्मीर में इस रणनीति के चलते अब चार में से तीन जिले लगभग आतंक मुक्त हो चुके हैं और अभ सुरक्षा बलों के निशाने पर दक्षिण कश्मीर के चार जिले- अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा- हैं जहां अभी भी कुछ आतंकी कमांडर बचे हुए हैं.
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