नई दिल्ली: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में डीलिमिटेशन और चुनाव को लेकर लगातार सामने आ रही खबरों के बीच केंद्रीय चुनाव आयोग ने साफ किया कि जम्मू कश्मीर में चुनाव कब करवाना है, इसका विचार चुनाव आयोग करेगा वो भी सभी हालातों को देखते हुए. लिहाज़ा इसको लेकर किसी तरह का कयास लगाना ठीक नहीं है.
चुनाव आयोग ने एलजी के हवाले से चुनावों को लेकर सामने आ रही खबरों को आयोग के काम में हस्तक्षेप माना
चुनाव आयोग ने यह जानकारी मीडिया में लगातार आ रही उन खबरों पर संज्ञान लेते हुए दी है, जिसमें जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल जी सी मुर्मू के हवाले से कहा गया था कि डीलिमिटेशन का काम पूरा होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव करवाए जा सकते हैं. चुनाव आयोग की तरफ से जारी किए गए इस स्पष्टीकरण से साफ है कि उपराज्यपाल जीसी मुरमू के हवाले से जो खबर आ रही है, चुनाव आयोग ने उसको काफी गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग के काम में हस्तक्षेप माना है और इसी वजह से ऐसे बयान और जानकारियों से बचने की सलाह दी है.
चुनाव आयोग ने कहा- चुनाव संबंधी फैसला लेने का अधिकार सिर्फ चुनाव आयोग के पास
इस सब के बीच चुनाव आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि चुनाव आयोग के अतिरिक्त चुनाव संबंधी जानकारी और उससे जुड़े हुए बयान देना किसी और के लिए मुनासिब नहीं है, लिहाजा ऐसे बयानों और जानकारियों से बचा जाना चाहिए. क्योंकि संविधान में चुनाव को लेकर जानकारी देने और तैयारी करने का अधिकार केंद्र चुनाव आयोग के पास है, लिहाजा कोई और अगर इस तरह की बात करता है तो वह एक तरह से संवैधानिक संस्था के कार्य में हस्तक्षेप होगा.
कोरोना सहित सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर तय की जाएगी चुनावों की तारीख
चुनाव आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि जम्मू कश्मीर में डीलिमिटेशन और चुनाव की बात की जाए तो फिलहाल चुनाव आयोग कोरोना के हालातों को देखते हुए इस पर आगे का फैसला लेगा. इसके साथ ही चुनाव आयोग वहां पर अलग-अलग पक्षों से बात करने के बाद ही कोई फैसला लेगा. इतना ही नहीं चुनाव आयोग को यह भी देखना होगा कि सुरक्षा के लिहाज से वहां कैसे, कब और कितनी सुरक्षा बल भेजा जा सकता है. लिहाजा एक दो नहीं बल्कि कई बातों को ध्यान में रखकर ही चुनाव का एलान किया जा सकता है.
पिछले साल जम्मू कश्मीर को मिला था केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा
गौरतलब है कि पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने संसद से कानून पास करवाकर और उसकी अधिसूचना जारी होने के बाद जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था. इसके साथ ही ले लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिल गया था. उसके बाद से ही इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद नए सिरे से डीलिमिटेशन का काम होगा और उस काम के पूरा होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव करवाए जा सकते हैं.
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