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जम्मू-कश्मीर आतंकवाद से ज्यादा सड़क हादसों से परेशान, हर साल हजारों लोग गंवा रहे जान

जम्मू-कश्मीर आतंकवाद के साथ-साथ अपनी यहां की खराब यातायात व्यवस्था के कारण भी परेशान है. जम्मू-कश्मीर में खस्ताहाल यातायात सिस्टम के कारण हर साल हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ती है. 2018 में यहां पर 1006 लोग सड़क हादसों में मारे गए थे.

श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर बीते कई सालों से अपने यहां फैले हुए आतंकवाद से परेशान है. रोजाना घट रही आतंकवादी घटनाओं और इन घटनाओं में शहीद हो रहे जवानों के चलते जम्मू कश्मीर रोज सुर्खियों में बना रहता है. लेकिन आप शायद यह जानकर हैरान होंगे कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से ज्यादा सड़क हादसों में लोगों की जाने जाती है.

खराब सड़कें, पुरानी बसें और खस्ताहाल बुनियादी ढांचा सड़क हादसों का मुख्य कारण है. जम्मू कश्मीर में हर साल सड़क हादसों में कई गुना इजाफा होता है. इन सड़क हादसों में मारे गए लोगों के आंकड़ों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है.

2018 में 1006 लोगों का सड़क हादसों में गंवानी पड़ी जान

अगर आंकड़ों की बात करें तो जम्मू कश्मीर में साल 2017 में 172 और साल 2018 में 166 सुरक्षाकर्मी, आम नागरिक, सेना के जवान और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान शहीद हो गए. वही सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2017 में राज्य भर में 5627 और साल 2000 में 6001 से अधिक सड़क हादसे हुए. अगर साल 2018 की बात करें तो इन सड़क हादसों में मारे गए लोगों की संख्या 1006 थी, जबकि 7718 लोग इन हादसों में घायल हो गए.

जम्मू-कश्मीर में अभी भी सड़कों पर फर्राटे भर रही हैं 15 साल पुरानी गाड़ियां

सूत्रों की माने तो सड़क हादसों का सबसे ज्यादा प्रकोप जम्मू के पहाड़ी जिलों डोडा, किश्तवाड़, रजौरी और पुंछ में देखा गया है. गौरतलब है कि डोडा और किश्तवाड़ जिले में खस्ताहाल सड़कें इन सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है. बताया जा रहा है कि जहां तकरीबन पूरे देश में 15 साल से पुराने वाहनों का सड़क पर चलना बंद कर दिया गया है, वही जम्मू कश्मीर में सालों पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं.

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