नई दिल्ली: तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर जम्मू कश्मीर के जिला मजिस्ट्रेटों और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से लगभग दो लाख फर्जी शस्त्र लाइसेंस बनाने का मामला सामने आया है. इस मामले में सीबीआई ने आज जम्मू कश्मीर में डेढ़ दर्जन से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की. यह रेड कुपवाड़ा, डोडा, किश्तवार, राजौरी आदि जगहों पर तैनात पूर्व डीएमो के निवास और कार्यालयों पर मारे गए. जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत सीबीआई की यह पहली बड़ी कार्रवाई है.


सीबीआई सूत्रों के मुताबिक जिन अधिकारियों के यहां ये छापे मारे गए उनमें राजीव रंजन, यशा मुदगिल, इतरत हुसैन, सलीम मोहम्मद, मोहम्मद जावेद खान, जहांगीर अहमद मीर नाम के अधिकारी बताए जा रहे हैं. सूत्रों कहना है कि ये अधिकारी कुपवाड़ा, बारामुला, उधमपुर, किश्तवार, राजौरी और डोडा जिला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात रह चुके हैं. राजस्थान पुलिस की सिफारिश पर यह मामला दर्ज किया गया था. इसके पहले राजस्थान पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया था.


इस मामले में आरोप है कि साल 2012 से 2016 तक जम्मू-कश्मीर के डोडा, रामबन, उधमपुर जिले से डेढ़ लाख से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए थे. जांच के दौरान पाया गया कि पूरे राज्य मे 4 लाख से भी ज्यादा शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए. जिनमें से दो लाख लाइसेंस फर्जी होने का अनुमान है. राजस्थान पुलिस ने भी इस मामले में जांच के दौरान अनेक लोगों को गिरफ्तार किया था और इस मामले में गुड़गांव से एक आईएएस अधिकारी के भाई और अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.


छापेमारी के दौरान पुलिस ने 40 लाख रुपए भी जब्त किए थे और आरोप है कि सेना एयरफोर्स और नौसेना समेत अन्य सशस्त्र बलों के जवानों के नाम पर यह लाइसेंस जारी किए गए थे. जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा और उधमपुर में भी फर्जी लाइसेंस का भंडाफोड़ इसके पहले हो चुका था. इस बारे में जम्मू कश्मीर विजिलेंस विभाग ने भी मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन मामला अन्य राज्यों तक फैला होने के कारण राज्य के गृह विभाग ने भी केस को सीबीआई के हवाले करने की सिफारिश की थी. सूत्रों के मुताबिक फर्जी लाइसेंस का ये धंधा देश के दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में भी फैला हुआ है राजस्थान पुलिस की रेड के दौरान अनेक फर्जी मोहरें और सेना के जवानों के फार्म आदि भी बरामद हुए थे.


सीबीआई सूत्रों की मानें तो इस मामले में सरकारी अधिकारियों ने तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख दिया और यह भी आरोप है कि एक निश्चित रकम लेने के बाद दलाल जिलों से फर्जी लाइसेंस जारी करा देता था. जिसके आधार पर देश के अलग-अलग शहरों से हथियार खरीद लिए जाते थे. सीबीआई के एक आला अधिकारी ने बताया, "जांच के दौरान अनेक बड़े अधिकारियों के फंसने की संभावना है. साथ ही तथ्य मिलने पर कुछ अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज किया जा सकता है. अभी तक चल रहे छापों के दौरान अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा किया गया है. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है."


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