Jammu Kashmir: फारूक अब्दुल्ला और गुलाम नबी की दस्तार बंदी के बाद वक्फ बोर्ड ने लगाई रोक, यह है कारण
Jammu-Kashmir Waqf Board: जम्मू -कश्मीर वक्फ बोर्ड ने धार्मिक स्थलों पर दस्तार बंदी (पगड़ी बांधने) समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया है.
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Jammu-Kashmir Waqf Board Order: जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड (Jammu-Kashmir Waqf Board) ने सोमवार को बोर्ड द्वारा शासित सभी धार्मिक स्थलों पर लोगों, विशेष रूप से राजनीतिक नेताओं के दस्तार बंदी (पगड़ी बांधने) समारोह पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया.
पगड़ी बांधने पर प्रतिबंध का आदेश आज यानी सोमवार से ही लागू हो गया. यह आदेश नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला(Farooq Abdullah) और पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) द्वारा धर्मस्थल का दौरा करने के कुछ दिनों बाद आया है.
आदेश में यह कहा गया?
- जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने आदेश में कहा कि बोर्ड को जियारतों / पगड़ी बांधने (दस्तार बंदी) समारोह के माध्यम से प्रभावशाली लोगों, विशेष रूप से राजनीतिक नेताओं को खुश करने के लिए जियारत के मंच के अनैतिक उपयोग के बारे में कई शिकायतें मिल रही थी.
- नेताओं को धार्मिक स्थलों पर आमंत्रित कर उनकी दस्तार बंदी राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए हो रही थी.
- जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने बताया कि अध्यक्ष ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि बोर्ड का मानना है कि जियारत/खानकाह/मस्जिद/दारुल उलूम जैसे धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल केवल धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है.
- धार्मिक क्षेत्र में किसी व्यक्ति द्वारा किए गए काम के लिए उसे सम्मानित किया जा सकता है.
- वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों द्वारा शासित सभी धार्मिक स्थलों पर लोगों की दस्तार बंदी पूरी तरह से प्रतिबंधित है. हालांकि, धार्मिक उपलब्धियों के लिए लोगों की दस्तार बंदी को केंद्रीय कार्यालय वक्फ बोर्ड की अनुमति की बाद होगी.
- सभी प्रशासकों और कार्यकारी अधिकारियों को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है. किसी भी उल्लंघन के मामले को कानूनी कार्रवाई के लिए तुरंत केंद्रीय कार्यालय के संज्ञान में लाया जाएगा,
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