(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जम्मू-कश्मीर: क्या हैं ग्राम रक्षा समितियां, आतंकी हमलों के बीच क्यों हो रही है इनकी बात
पिछले कुछ महीनों में जम्मू कश्मीर के डांगरी गांव में लगातार हो रहे हमले की घटनाएं देखते हुए स्थानीय लोगों ने मांग की है कि उन्हें हमलावरों से निपटने के लिए हथियार उपलब्ध कराया जाएं.
बीते 1 और 2 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के डांगरी गांव में दो दिनों में आतंकवादियों ने छह लोगों की हत्या कर दी. सबसे पहले रविवार को आतंकियों ने इस इलाके के 3 मकानों पर गोलीबारी किया. उसके अगले ही दिन यानी सोमवार को छिपे आतंकियों ने उसी इलाके में ग्रेनेड से हमला कर दिया. इस हमले में 2 लोग घायल हुए.
पिछले कुछ महीनों में यहां आतंकियों के हमले की घटनाएं बढ़ी है जिसे देखते हुए स्थानीय लोगों ने मांग की है कि उन्हें हमलावरों से निपटने के लिए हथियार उपलब्ध कराया जाएं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां हर परिवार के पास बंदूक होनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर वह आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें.
इस मांग के जवाब में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2 जनवरी को लोगों को आश्वासन दिया कि उन्हें डोडा जिले की तरह इस गांव को ग्राम रक्षा समिति (वीडीसी) मिलेगी. हमले के बाद डांगरी गांव का दौरा करने पहुंचे डीजी दिलबाग सिंह ने भी कहा यहां को लोगों से ग्राम रक्षा समिति के तहत बंदूकें दी जाएगी.
क्या है वीडीसी
वीडीसी यानी ग्राम सुरक्षा समिति का गठन पहली बार 1990 के दशक के मध्य में तत्कालीन डोडा जिले (अब किश्तवाड़, डोडा और रामबन जिले) में आतंकवादी हमलों के खिलाफ बचाव के रूप में किया गया था. उस दशक में आतंकी हमलों से परेशान तत्कालीन जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने दूरस्थ पहाड़ी गांवों के निवासियों को हथियार प्रदान करने और उन्हें अपनी रक्षा के लिए हथियारों का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया था.
द हिंदू के अनुसार, उस दशक के ग्राम सुरक्षा समिति में 10 जिलों में 26,567 स्थानीय लोगों को स्वयंसेवक के तौर पर भर्ती किया गया था और उन्हें हथियार दिया गया था, ताकि ऐसी परिस्थिति में वह आतंकियों से मुकाबला कर सकें और अपने व अपने परिवार की रक्षा कर सकें. सबसे अधिक स्वयंसेवकों की संख्या राजौरी जिले में रही है. यहां 5818 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया था. इसके बाद रियासी में 5730 और डोडा में 4822 स्वयंसेवक भर्ती किए गए थे.
आतंकवादी हिंदू परिवार पर करते थे हमला
ग्राम सुरक्षा समिति के स्वयं सेवकों का जम्मू संभाग के किश्तवाड़ा, डोडा और रामबन जिलों में आतंकवाद के खात्मे में काफी अहम रोल है. दरअसल उस वक्त आतंकियों ने डोडा में खूब आतंक मचाया था. आतंकवादी घर में घुस घुसकर हिंदू परिवारों को मार रहे थे. एक मामला ऐसा भी था जब आतंकवादी ने एक शादी में घुसकर 27 लोगों को कतार में खड़ा कर गोलियों से भून दिया.
उस वक्त इस तरह की तमाम घटनाओं से वहां रहने वाले स्थानीय लोग परेशान थे. तब वीडीसी ने मोर्चा संभाला और आतंकियों से लड़ने का जिम्मा उठाया. बाद में जब आतंकी हमले रुक गए तब समिति ने सदस्यों से हथियार ले लिए.
हालांकि पुलिस का कहना था कि उस वक्त सभी से हथियार नहीं लिया गया था बल्कि साठ साल की उम्र पार कर चुके सदस्यों को हथियार जमा करना था, ताकि उनकी जगह नए युवाओं को ट्रेनिंग दी जा सके और उन्हें भी मौका दिया जाए.
ऐसी और भी कई घटनाओं के बाद वीडीसी ने मोर्चा संभाला था और आतंकियों से लड़ाई लड़ी थी. बाद में समिति सदस्यों से हथियार वापस लिए जाने लगे. हालांकि पुलिस का कहना था कि केवल साठ साल की उम्र पार कर चुके सदस्यों से हथियार जमा करने को कहा गया, ताकि उनकी जगह युवाओं को मौका दिया जाए.
वीडीसी का वीडीजी के रूप में पुनर्गठन
इस वीडीसी यानी ग्राम रक्षा समिति का नाम बदलकर अब ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) कर दिया गया है. जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इलाकों में वीडीजी स्थापित करने की नई योजना को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल मार्च में मंजूरी दी थी. वीडीसी सदस्य की तरह, प्रत्येक वीडीजी को एक बंदूक और 100 राउंड गोला बारूद दिया जाता है.
वीडीसी की संरचना क्या थी?
वीडीसी में स्वैच्छिक आधार पर न्यूनतम 10-15 पूर्व सैनिकों, पूर्व पुलिसकर्मियों और सक्षम स्थानीय युवाओं को नामांकित किया जाता था. जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से औसतन उनमें से कम से कम पांच को .303 राइफल और 100 गोलियां दी जाती थी. हथियारों का आवंटन स्वयंसेवकों की साख, गांव की कुल आबादी और इसकी सुरक्षा आवश्यकताओं के आधार पर किया जा सकता है.
क्या हुआ था 1 जनवरी को
जम्मू-कश्मीर के राजौरी स्थित डांगरी गांव में रविवार यानी 1 जनवरी देर शाम आतंकवादियों ने हमला कर दिया. इसमें 3 लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही सात लोग घायल हैं. घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
जानकारी के मुताबिक हमला ऊपरी डांगरी गांव में हुआ. यहां करीब 50 मीटर की दूरी पर अलग-अलग तीन घरों को आतंकियों ने निशाना बनाया है. फायरिंग में तीन लोगों की मौत की खबर है. वहीं सात लोग घायल हैं. बताया जा रहा है कि सुरक्षाकर्मियों ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है.
2 जनवरी को क्या हुआ था
एक जनवरी को हुए हमले के अगले दिन उसी डांगरी गांव में आईईडी ब्लास्ट किया. उस इलाके में सुरक्षाबल तलाशी अभियान चला रहे थे, उसी वक्त यहां छिपे आतंकियों ने ग्रेनेड से हमला किया, जिसमें 2 लोग घायल हुए हैं. आईईडी ब्लास्ट के बाद इस इलाके में ड्रोन की मदद से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.