जम्मू कश्मीर: जानिए- वो चार कारण जिसके आधार पर राज्यपाल ने सरकार बनाने से महबूबा का रास्ता रोका
2019 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष ने एक बार फिर एकता दिखाई है. इस बार जम्मू कश्मीर में दो धुर विरोधी राजनीतिक विचारधारा वाली पार्टियां एकजुट हुई हैं. जम्मू कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक दूसरे के खिलाफ रहती हैं लेकिन बीजेपी के खिलाफ उन्होंने हाथ मिला लिया.
नई दिल्ली: गुरुवार को दिनभर चले हाइवोल्टेज ड्रामे के बीच जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग कर दी गई. इसके साथ ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जल्द चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है. राज्यपाल के इस फैसले से पीडीपी, नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की पहल को बड़ा झटका लगा है. नेशनल कांन्फ्रेंस ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक बताया.
वहीं बीजेपी ने पीडीपी, एनसी और कांग्रेस गठबंधन के पीछे की ताकत पाकिस्तान को बताया है. दरअसल राज्यपाल के फैसले से पहले पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था. वहीं दूसरी तरफ पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने बीजेपी और 18 अन्य विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था. राज्यपाल ने अपने फैसले में विधानसभा भंग करने के चार मुख्य कारण बताए हैं.
महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को चिट्ठी में क्या लिखा? सरकार बनाने का दावा पेश करने की कवायद पहले से चल रही थी, इस मामले को हवा कांग्रेस नेता गुलान नबी आजाद के उस बयान से मिली जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस, पीडीपी और एनसी का गठबंधन हो सकता है.
शाम होते होते महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस और नेशनल के समर्थन का दावा करते हुए चिट्ठी भेज दी. महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखा, ''आप जानते हैं कि 29 विधायकों के साथ पीडीपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है. आपको मीडिया के जरिए पता लगा होगा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस भी सरकार बनाने में हमारा समर्थन करने की इच्छा रखती हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. सभी मिलकर हमारी संख्या 56 हो जाती है. मैं अभी श्रीनगर में हूं और मेरे लिए आपसे अभी मुलाकात संभव नहीं है. इस पत्र के जरिए हम आपको ये सूचित कर रहे हैं कि हम सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए जल्द ही आपसे मिलना चाहते हैं.''
राज्यपाल ने अपने फैसले में गिनाए चार कारण राज्यपाल ने अपने आदेश में विधानसभा भंग करने के पीछे चार प्रमुख कारण बताए हैं. पहला कारण, विरोधी राजनीतिक विचारधारा वाले दलों के गठबंधन से स्थाई सरकार बनने के आसार कम हैं. दूसरा कारण, सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका है.
तीसरा कारण, खंडित जनादेश से स्थाई सरकार बनाना संभव नहीं है, ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने की बजाए सत्ता हासिल करने का प्रयास है. चौथा कारण, जम्मू कश्मीर की नाजुक सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर सुरक्षा बलों के लिए स्थाई और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है.
आपको बता दें कि बीते जून महीने में जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार गिर गई थी, तब से वहां राष्ट्रपति शासन लागू है. कल जैसे ही नई सरकार के गठन की सुगबुगाहट तेज़ हुई, राज्यपाल ने सूबे की विधानसभा भंग कर दी. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल छह साल का है.