जम्मू: कोरोना की चेन तोड़ने के लिए प्रशासन की लगातार जारी कोशिश, टेस्टिंग संख्या पर खास ध्यान
जम्मू में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए प्रशासन ने टेस्टिंग तेज करा दी है. प्रदेश की एकलौती बीएसएल लेवल 3 लैब में रोजाना सैकड़ों आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जा रही है
जम्मू में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले और इस महामारी से लगातार बढ़ रहे मृत्यु दर से प्रशासन सकते में है. ऐसे में अब जम्मू में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए प्रशासन ने टेस्टिंग तेज करा दी है. प्रदेश की एकलौती बीएसएल लेवल 3 लैब में रोजाना सैकड़ों आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
जम्मू की इकलौती बीएसएल लेवल 3 की लेबोरेटरी मे इन दिनों सुबह से शाम तक दर्जनों लोग पीपीई किट पहनकर काम कर रहे हैं. दरअसल, जम्मू की इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिसन यानी आईआईआईएम के परिसर में बनी इस लैब में टेस्टिंग की शुरुआत बीते साल अप्रैल महीने में हुई थी. लेकिन, तब यहां दिन के करीब सौ आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट थी तैयार की जाती थी.
इस लैब ने 1 दिन में 1300 सैंपल तक टेस्ट किए गए हैं- इंचार्ज
जम्मू में लैब के इंचार्ज डॉ सुमित गांधी की माने तो शुरुआत में इस लैब में सिर्फ 50 से 100 टेस्ट होते थे, लेकिन हाल के समय में इस लैब ने 1 दिन में 1300 सैंपल तक टेस्ट किए गए हैं. उन्होंने कहा कि औसतन यहां रोजाना करीब 500 से अधिक आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जाती है. उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 में जब इस लैब में आरटी-पीसीआर की टेस्टिंग शुरू हुई तो यहां मात्र 2 लोग काम करते थे और यह लैब हफ्ते में 5 दिन ही खुलती थी.
लेकिन अब जैसे-जैसे प्रदेश में करोना तेजी से अपने पांव पसार रहा है न केवल इस लैब में काम कर रहे लोगों की संख्या को बढ़ाया गया है बल्कि अब यह लैब हफ्ते में 6 दिन खुली रहती है. उन्होंने कहा कि इस लैब में टेस्ट टीम में शामिल लोगों की संख्या को 2 से बढ़ाकर 9 कर दिया गया है और इसके अलावा कई अन्य लोग भी यहां पर लगातार इस टेस्टिंग को अंजाम देने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.
एसओपी का सख्ती से पालन हो रहा है- डॉ. सुमित गांधी
डॉ. सुमित गांधी के मुताबिक इस लैब में एसओपी का सख्ती से पालन हो रहा है और इस लैब में काम कर रहे हैं जिनका प्रत्येक शख्स का 15 दिन में एक बार कोरोना टेस्ट होता है. वहीं इस लैब में टेस्टिंग के काम को अंजाम देने वाले प्रभात कुमार के मुताबिक सबसे ज्यादा दिक्कत पीपीई किट पहनकर काम करने में आती है.
उन्होंने कहा कि हालांकि इस लैब में ऐसी लगे हैं लेकिन बीएसएल 3 लैब होने के कारण यहां नेगिटिव प्रेशर बनता है जिससे यहां काम कर रहे लोगों को पसीना और सांस लेने में दिक्कत होती है. उन्होंने कहा कि शुरुआत में वह केवल 3 घंटे पीपीई किट पहन कर काम करते थे लेकिन अब उन्हें घंटों यहां काम करना पड़ता है.
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