जम्मू के निक्की तवी इलाके में जमीन खाली कराने के दौरान हुई हिंसा के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर नहीं करने पर जम्मू डेवलपमेंट अथॉरिटी पर 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है. ये जुर्माना जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने लगाया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट में जेडीए को रिपोर्ट पेश करने का आखिरी मौका भी दिया है.


जम्मू के निक्की तवी इलाके में जेडीए की टीम अवैध कब्जे को हटाने गई थी, जहां इस इलाके में रह रहे लोगों ने यहां यह अवैध कब्जे कर रखे हैं. यहां लोगों ने जेडीए और पुलिस की टीम पर हमला कर दिया था. इस हमले में जेडीए के कई कर्मचारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.


रिपोर्ट पेश करने की 4 हफ्तों की मोहलत
घटना का जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की. इस मामले में हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर 2019 को जेडीए को स्टेटस फाइल करने को कहा था लेकिन जेडीए अबतक यह रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई, जिससे नाराज जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने जेडीए को 10000 रुपये का जुर्माना करते हुए दो हफ्तों के अंदर यह पैसा जमा कराने को कहा है.


हाई कोर्ट स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए 4 सप्ताह की मोहलत देते हुए कहा है कि रिपोर्ट के साथ जमा किए गए पैसे की रसीद भी जमा करवाई जाए. अदालत ने कहा है कि अब तक सुनवाई के दौरान जो तथ्य सामने आए हैं उसमें जम्मू जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि विवादित जमीन को प्रशासन ने जेडीए के हवाले कर दिया था. लिहाजा, कोर्ट ने कहा कि यह जेडीए की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस जमीन की हदबंदी करता और अगर इस जमीन कब्जा हुआ है तो उसे हटाने के लिए उचित कदम उठाता. बेंच ने पाया कि इस मामले में जिन लोगों ने जेडीए की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की, उन्होंने जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है.


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