जम्मूः औद्योगिक प्रतिष्ठानों का दावा- इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट स्कीम से राज्य में बढ़ेगी बेरोजगारी, उद्योगों पर लग जाएंगे ताले
ललित महाजन ने आरोप लगाया कि आर्टिकल 370 हटने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि प्रदेश में उद्योग जगत का भला होगा लेकिन इस नीति के बाद प्रदेश का हर उद्योगपति परेशान है.
जम्मू: जम्मू कश्मीर के आर्थिक और सामाजिक विकास को ध्यान में रखते हुए इसी साल जनवरी में घोषित प्रदेश सरकार की इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट स्कीम विवादों में घिर गई है. सरकार की इस नई स्कीम के विरोध में अब जम्मू के सभी मौजूदा औद्योगिक और व्यापारिक प्रतिष्ठान लामबंद हुए हैं. पिछले कई सालों से जम्मू, साम्बा, कठुआ और उधमपुर ज़िलों में उद्योग चला रहे प्रदेश के उद्योगपति इसी साल जनवरी में घोषित 28,400 करोड़ की औद्योगिक नीति पर बवाल खड़ा हो गया है.
जम्मू की सबसे बड़ी औद्योगिक एसोसिएशन में से एक बड़ी ब्रह्मणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान ललित महाजन का आरोप है कि यह नई नीति प्रदेश में मौजूदा उद्योगों पर ताले जड़ देगी और बेरोजगारी को बढ़ा देगी.
ललित महाजन का आरोप है कि इस नई नीति में प्रदेश में मौजूदा समय मे उद्योग चला रहे किसी भी उद्योगपति से राय नहीं ली गयी. ललित महाजन का आरोप है कि प्रदेश सरकार द्वारा घोषित नई उद्योग नीति में कॉरपोरेट हाउसेस और बड़े उद्योगपतियों को फायदा मिलेगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि इस नई औद्योगिक नीति में जो भी लाभ है वह सिर्फ प्रदेश में आने वाली नई इंडस्ट्री को है. जबकि, मौजूदा इंडस्ट्री को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है.
गौरतलब है कि प्रदेश में छोटे बड़े करीब 8000 यूनिट है जिनमे करीब 5 लाख लोग काम करते हैं. कठुआ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान अजित बावा आरोप लगा रहे है कि इस नई औद्योगिक नीति से प्रदेश की मौजूदा इंडस्ट्री बंद हो जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि नीति बनाने से पहले सरकार ने उद्योगपतियों से जो भी वादे किए थे उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है.