जम्मू: आपने कश्मीर में बारे में अक्सर सुना होगा कि "गर फिरदौस बर रुये ज़मी अस्त..हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त" जिसका मतलब है कि अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है, यहीं है, यहीं है. धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक कश्मीर का रुख कर रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही अब जम्मू भी अपने आकर्षक पर्यटक स्थलों की वजह से देशी-विदेशी सैलानियों की पसंद बनता जा रहा है.


अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो साल 2019 में 1.56 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने जम्मू का रुख किया, जिसमें 77 लाख से अधिक पर्यटक माता वैष्णो देवी पहुंचे. यहां यह भी बताना ज़रूरी है कि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को धारा 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के एलान के बाद बने हालातों में सुधार अक्टूबर महीने से होना शुरू हुआ. जिसके बाद रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक जम्मू पहुंचे.


हालांकि, अगर इन आंकड़ों की तुलना साल 2018 के आंकड़ों से करें तो पर्यटकों की संख्या में कुछ कमी आयी है. लेकिन पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का दावा है कि अगस्त में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद बने माहौल का असर करीब दो महीनों तक पर्यटकों की संख्या पर पड़ा. आंकड़े बताते हैं कि साल 2008 में 83.31 लाख, 2009 में 1.03 करोड़, 2010 में 1.16 करोड़, 2011 में 1.34 करोड़, 2012 में 1.42 करोड़, 2013 में 1.24 करोड़, 2014 में 1.01 करोड़, 2015 में 1.23 करोड़, 2016 में 1.22 करोड़, 2017 में 1.60 करोड़, 2018 में 1.60 करोड़ और इस साल 1.56 करोड़ पर्यटकों ने जम्मू का रुख किया.


इस साल आये पर्यटकों में 76.7 लाख पर्यटक माता वैष्णो देवी, 13.44 लाख पर्यटक राजौरी ज़िले में स्थित शहादरा शरीफ, 8.15 लाख पर्यटक शिव खोड़ी, 17.05 लाख पत्नीटॉप, 16.04 लाख मानसर जबकि 9.24 लाख पर्यटकों ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे सुचेतगढ़ का रुख किया. इसके साथ ही चीची माता मंदिर, सुकराला माता, माता बाला देवी, सनासर, नंगाली साहेब के दर्शनों के लिए भी पर्यटक भारी संख्या में पहुंचे.


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