पुलवामा हमला: भीषण बाढ़ में नसीर अहमद ने बचाई थी दर्जनों की जिंदगी, वहीं पर हमले में हुए शहीद
Pulwama attack: शहीद नसीर अहमद के बड़े भाई सिराज दीन जम्मू-कश्मीर पुलिस में हैं और जम्मू में तैनात हैं. शहीद के एक पड़ोसी ने बताया कि नसीर रिटायरमेंट लेकर गांव में बसने की योजना बना रहे थे.
श्रीनगर: देशभक्ति नारों की गूंज और शोक की धुन के बीच देश के 40 शहीद जवानों को अंतिम विदाई दी जा रही है. पुलवामा के इन शहीदों में जम्मू-कश्मीर के राजौरी के हेड कॉन्सटेबल नसीर अहमद (46) भी हैं. नसीर के गांव डोदासन बाला के लोग शोक में डूबे हैं. स्थानीय लोग घर बहुंच कर परिवार वालों को सांत्वाना दे रहे हैं. शहीद जवान अपने पीछे पत्नी शाजिया कौसर और दो बच्चे फलक (8 साल) और कशेस (6 साल) छोड़ गए.
One #Naseer Ahmed, hailing from Dodasan Balla, of Rajouri Distt.uncle of our brother and Scholar Ishtiaq Shauq Bahi, attained martyrdom today in an attack at Litpura Pulwama. Shocking @listenshahid @ShafaitMohammad @MehboobaMufti @shahjahanmath pic.twitter.com/awTXjDIzms
— Zahid Parwaz Choudhary (@ZahidParwaz) February 14, 2019
नसीर के बड़े भाई सिराज दीन जम्मू-कश्मीर पुलिस में हैं और जम्मू में तैनात हैं. शहीद के एक पड़ोसी ने बताया कि नसीर रिटायरमेंट लेकर गांव में बसने की योजना बना रहे थे. नसीर अहमद 2014 में आई भीषण बाढ़ के समय पुलवामा में ही थे और उन्होंने दर्जनों लोगों की जान बचाई थी.
गुरुवार को पुलवामा के निकट अवंतीपुरा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये. ऐसा माना जाता है कि इस पूरे हमले की योजना एक पाकिस्तानी नागरिक कामरान ने बनायी थी जो जैश ए मोहम्मद का सदस्य है.
कामरान, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, अवंतीपुरा तथा त्राल इलाके में सक्रिय है. फिदायीन(आत्मघाती हमलावर) की पहचान आदिल अहमद के रूप में की गयी है. पुलवामा के काकापुरा इलाके का निवासी आदिल 2018 में जैश में शामिल हुआ था.