कठुआ: जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले में पठानकोट कोर्ट ने 7 आरोपियों में से 6 को दोषी करार दिया है. इस मामले में एक ग्राम प्रधान समेत आठ आरोपी थे, जबकि किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची का रेप करके उसकी हत्या कर दी गई थी.
दोषी करार दिए गए ये 6 लोग
कोर्ट ने आरोपी ग्राम प्रधान सांजी राम के बेटे विशाल को बरी कर दिया है. जबकि सांझी राम, आनंद दत्ता, सुरेंद्र वर्मा, प्रवेश, दीपक खजुरिया और तिलक राज को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. बता दें कि दोषियों की सजा का एलान होना अभी बाकी है. सजा का एलान दो बजे हो सकता है.
चार दिन तक बेहोश रखकर की गई थी बच्ची की हत्या
कठुआ जिले के एक छोटे से गांव के मंदिर में कथित तौर पर बंधक बनाकर 8 साल की बच्ची के साथ रेप किया गया था. इतना ही नहीं उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई. क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे और उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था. इस मामले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था.
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आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय
सांजी राम से कथित तौर पर चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हैड कांस्टेबल तिलक राज और एसआई आनंद दत्ता को भी गिरफ्तार किया गया. जिला और सत्र जज ने आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किये हैं.
घटना के बाद खड़ा हुआ था राजनीतिक तूफान
किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. इस मामले ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और इसमें बीजेपी के दो मंत्रियों (चौधरी लाल सिंह, पूर्व वन मंत्री और चंद्र प्रकाश गंगा, पूर्व उद्योग मंत्री) को अपना मंत्री पद गवाना पड़ा था. मामले की सुनवाई पठानकोट की जिला और सत्र अदालत में चल रही है.
आरोपियों को सुनाई जा सकती हैं उम्रकैद और मौत की सजा
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. इससे पहले कठुआ के वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका था. इस मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था. अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है.