Jammu Kashmir Administration: जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने घाटी में मंदिर संपत्तियों के अवैध पट्टे और बिक्री की एसआईटी से जांच करवाने का आदेश दिया है. प्रशासन ने घाटी के सभी दस जिलों के उपायुक्तों (डीसी) को सभी मंदिरों और गुरुद्वारों की एक सप्ताह के भीतर अपडेट अद्यतन सूची प्रस्तुत करने के लिए कहा है. 


उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सचिवालय संदर्भ निगरानी प्रकोष्ठ के निर्देश पर कश्मीर के 10 उपायुक्तों को जारी एक पत्र के जरिए ये आदेश जारी किए गए हैं. इसमें उन्हें मंदिर की संपत्तियों के अवैध पट्टे और मंदिर / गुरुद्वारा की संपत्तियों में की जा रही साठगांठ की जांच करने के लिए कहा गया था.


आयुक्त कश्मीर ने आदेश जारी किया


संभागीय आयुक्त कश्मीर ने आदेश में कहा कि मुझे निर्देश दिया गया है कि जम्मू और कश्मीर से आपके जिले में इस तरह के किसी भी मामले का पता लगाने और सूचना के साथ नियमों के तहत उचित आवश्यक कार्रवाई करने के अनुरोध के साथ प्राप्त हुआ.   


इसके अलावा, उपायुक्तों को धार्मिक अल्पसंख्यक संपत्तियों (मंदिर, गुरुद्वारा, अन्य) की अपडेटेड सूची एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है. यह आदेश अध्यक्ष द्वारा दायर एक शिकायत के जवाब में आया है.


कश्मीरी पंडितों के संगठन ने आरोप लगाया


जम्मू-कश्मीर शांति मंच, कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार के अधिकारियों ने लोगों के एक चुनिंदा समूह के साथ मिलकर 1989 - 2022 के बीच निष्क्रिय मंदिर ट्रस्टों का संचालन किया और अवैध रूप से कश्मीर में मंदिर संपत्तियों को बेचकर पट्टे पर दे दिया. मृत मंदिर ट्रस्ट/सोसायटियां स्थापना के समय से ही जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित वैधानिक अनुपालन का पालन करने में असफल रही थीं.


1990-2023 तक कोई ऑडिट रिपोर्ट नहीं


फोरम ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि 100 से अधिक निष्क्रिय मंदिर ट्रस्ट/सोसायटियां कश्मीर की घाटी और कश्मीर के बाहर अवैध रूप से काम कर रही हैं. मृत सोसायटी/मंदिर ट्रस्ट ने 1990 से 2023 तक कोई ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है.


जम्मू-कश्मीर पीस फोरम ने उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि मंदिर की सभी बेची गई सम्पत्ति लीज और किराये की जमीन को संकट बिक्री अधिनियम, 1997 पर हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार दोबारा प्राप्त किया जाए. 


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