Target Killing Rahul Bhatt: रोका जाएगा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का वेतन, आंदोलन तेज करने की चेतावनी के बाद आया आदेश
Kashmiri Pandit Protest: कश्मीरी पंडित कर्मचारी इस साल मई से धरना दे रहे हैं, जब बडगाम में उनके कार्यालय के अंदर दिनदहाड़े आतंकवादियों ने एक कर्मचारी राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
Jammu-Kashmir News: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस महीने से आंदोलनकारी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया है. यह फैसला कर्मचारियों पर नकेल कसने के लिए लिया गया है. दरअसल, इन्होंने घाटी के बाहर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की मांग को लेकर अपना आंदोलन तेज करने की चेतवनी जारी की थी. ज्यादातर कर्मचारी पहले ही घाटी छोड़ चुके हैं.
बता दें कि, कर्मचारी इस साल मई से धरना दे रहे हैं, जब मध्य कश्मीर के बडगाम में उनके कार्यालय के अंदर दिनदहाड़े आतंकवादियों ने एक कर्मचारी राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी. कश्मीर के श्रम विभाग और अतिरिक्त उपायुक्त अनंतनाग ने घाटी में हड़ताल पर गए कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के वेतन को रोकने के आदेश जारी किया है.
'रोका जाएगा सितंबर का वेतन'
अपने इस आदेश में उप श्रम आयुक्त (DLC) कश्मीर अहमद हुसैन भट्ट ने कश्मीर घाटी के जिलों मेंयक सहा श्रम आयुक्तों को सितंबर के लिए इन कर्मचारियों के वेतन को रोकने का निर्देश दिया है. उन्होंने विभाग के सभी कर्मचारियों के अवकाश खातों की मांग करते हुए कहा कि आगे, सितंबर 2022 के महीने का वेतन उन पीएम पैकेज कर्मचारियों के संबंध में नहीं निकाला जाना चाहिए, जो सितंबर के महीने में अनुपस्थित रहे हैं.
133 दिन से जारी है हड़ताल
ऐसा ही आदेश एडीसी अनंतनाग की ओर से जारी किया गया है. 2012 में प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत 3,000 कश्मीरी पंडित युवाओं को समायोजित किया गया था. आदेशों से नाराज हड़ताली कर्मचारियों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया, जो गुरुवार को 133वें दिन में प्रवेश कर गया है. विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह हमारे खिलाफ साजिश है.
कर्मचारियों में डर का माहौल
विरोध कर रहे लोगों का सवाल है कि उनका अपराध क्या है? हमने बहुसंख्यक समुदाय के बच्चों को दस साल तक पूरी ईमानदारी से पढ़ाया है. हमें क्यों निशाना बनाया और मारा जा रहा है. वहीं, एक अन्य कर्मचारी ने कहा कि एक तरफ उन्हें आतंकी संगठनों से जान से मारने की धमकी वाले पत्र मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ उन्हें काम पर आने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: