Jammu Kashmir: 'नफरत के खेल को हम...', आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद और क्या बोले कश्मीरी
Jammu Kashmir Article 370: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने जायज ठहराया है, जिसपर स्थानीय लोग खुश हैं.
Locals On Jammu Kashmir Article 370: अनुच्छेद 370 को जम्मू कश्मीर से निरस्त किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 दिसंबर) को सही ठहराया. उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का फैसला संवैधानिक दायरे में हुआ है और इसे फिर से बहाल नहीं किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेताओं ने भले ही मायूसी जाहिर की, लेकिन कश्मीर में लोग इस फैसले से खुश हैं. उन्होंने स्थानीय नेताओं की राजनीति पर सवाल खड़े किए हैं और कश्मीर में बड़े पैमाने पर बदलाव की मांग की है.
सैफुल्लाह ने कहा, बहकावें में उठाई बंदूक
श्रीनगर के सैफुल्लाह फारूक, शौकत अहमद जैसे कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कश्मीर में राजनीति करने वाले नेताओं की नफरत के खेल को समझ लिया है और अब मुख्य धारा में लौट रहे हैं. फारूक 50 साल के हैं. एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहते हैं कि देश विरोधी कट्टर ताकतों के बहकावे में आकर इन्होने बंदूकें भी उठाई थी, लेकिन नफरत का खेल समझ में आया तो इन्होंने आतंक का रास्ता छोड़ दिया. उन्होंने कश्मीर के नाम पर दसकों तक सियासत करने वालों पर कड़ा प्रहार किया. सैफुल्लाह कहते हैं, "कश्मीर को हिंसा नहीं विकास चाहिए."
"युवा पीढ़ी को मिलनी चाहिए कश्मीर की कमान"
इसी तरह से शौकत अहमद भी कश्मीर के नागरिक हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया. 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव कराए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए वह कहते हैं कि अब कश्मीर की कमान स्थानीय युवाओं के हाथ में होनी चाहिए.
जम्मू कश्मीर पर फैसले से निराशा हैं ये नेता
जम्मू कश्मीर में राजनीति करने वाले दलों के शीर्ष नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जाहिर की है. पीडीपी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकीं महबूबा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मौत की सजा करार दिया. जबकि नेशनल कांफ्रेंस के बड़े नेता पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए संघर्ष जारी रखने को कहा है.
कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आखिरी उम्मीद टूट गई है. उन्होंने धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले भारत के इस अभिन्न हिस्से में देश के दूसरे राज्यों से लोगों के आने को लेकर दुख जाहिर किया है और कहा है कि अब पूरे हिंदुस्तान से लोग यहां आएंगे जो ठीक नहीं है. बहरहाल इन नेताओं ने अपने-अपने शासन के दौरान कश्मीर का मुकद्दर तो नहीं बदला. अपनी असफलता पर इनका ध्यान नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं.
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