J&K विधानसभा संकट: कब होंगे चुनाव और कितनी बार राज्य में लगा है राज्यपाल शासन, पाएं ऐसे सभी सवालों के जवाब
अगर गवर्नर अपने या राष्ट्रपति के शासन के दौरान विधानसभा भंग करने का फैसला करते हैं तो छह महीने के भीतर चुनाव कराने होंगे. अगर चुनाव आयोग विधानसभा भंग किए जाने की तारीख़ से छह महीने के भीतर चुनाव नहीं करा पाता तो उसे इसके उचित कारण बताने होते हैं.
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में कल हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा हुआ. राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ पिछली सरकार में सहयोगी रही पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कांग्रेस और अपनी घोर विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की. इससे संबंधित एक फैक्स राजभवन को भेजा गया जो राजभवन के मुताबिक उसे प्राप्त नहीं हुआ और इस साल जून के महीने से संस्पेंडेड एनिमेशन (स्थगित अवस्था) में चल रही विधानसभा को कल राज्यपाल सत्यापाल मलिक ने भंग कर दिया.
आपको याद दिला दें कि 19 जून को बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया था. बीजेपी ने अपनी सहयोगी पीडीपी पर राज्य के सुरक्षा के हालात का ठीकरा फोड़ते हुई महबूबा की पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लगाना पड़ा. राज्य में इस बार राज्यपाल शासन लगने के बाद 1977 से ये 9वां मौका था जब घाटी में ऐसा हुआ.
आपको बता दें कि अन्य राज्यों में संविधान के आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है लेकिन जम्मू कश्मीर के मामले में ऐसा नहीं है. जम्मू-कश्मीर का संविधान अलग है जो कि राज्य सरकार के गिरने और राष्ट्रपति शासन के बीच एक और सतह की जगह बनाता है. राज्य के संविधान के आर्टिकल 92 के मुताबिक अगर सरकार गिरती है तो राज्य में अगले छह महीनों तक पहले तो राज्यापाल का शासन रहेगा. इस दौरान विधानसभा सस्पेंडेड एनिमेशन में रहती है और राज्यपाल चाहें तो विधानसभा भंग कर सकते हैं.
विधानसभा के सस्पेंडेड एनिमेशन में रहने का मतलब ये होता है कि विधायक विधानसभा में तो बने रहते हैं लेकिन उन्हें कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं होता है. वहीं, इस दौरान कानून बनाने का अधिकार राज्यपाल के हाथों में आ जाता है. अगर गवर्नर के छह महीने के शासन के दौरान भी विधानसभा सस्पेंडेड एनिमेशन में रहती है तो भारतीय संविधान के आर्टिकल 356 के मुताबिक राज्य में अपने आप राष्ट्रपति शासन लगा जाता है. लेकिन इस ऐसे में भी शासन का कार्यभार गवर्नर के हाथों में होता है.
अगर गवर्नर अपने या राष्ट्रपति के शासन के दौरान विधानसभा भंग करने का फैसला करते हैं तो छह महीने के भीतर चुनाव कराने होंगे. अगर चुनाव आयोग विधानसभा भंग किए जाने की तारीख़ से छह महीने के भीतर चुनाव नहीं करा पाता तो उसे इसके उचित कारण बताने होते हैं. अब जब कल राज्यपाल ने विधानसभा को भंग कर दिया तो ऐसे में कल की तारीख़ से छह महीने के भीतर राज्य में चुनाव कराने होंगे. इसी की मांग कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस कर रहे थे और जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने एक साथ आकर सरकार बनाने की बात सोची लेकिन विधानसभा को भंग कर दिया गया.
राज्य में कब रहा किसका शासन
जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री
- 15 अक्टूबर 1947 से 5 मार्च 1948 तक मेहर चंद महाराज
- 5 मार्च 1948 से 9 अगस्त 1953 तक शेख मोहम्मद अब्दुल्लाह
- 9 अगस्त 1953 से 12 अगस्त 1963 तक बख्शी गुलाम मोहम्मद
- 12 अगस्त 1963 से 29 फरवरी 1964 तक ख्वाजा शमसुद्दीन
- 29 फरवरी 1964 से 30 मार्च 1965 तक ग़ुलाम मोहम्मद सादिक
- 30 मार्च 1965 से 12 दिसंबर 1971 तक ग़ुलाम मोहम्मद सादिक
- 12 दिसंबर 1971 से 25 फरवरी 1975 तक सय्यद मीर कासिम
- 26 फरवरी 1975 से 26 मार्च 1977 तक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला
- 26 मार्च 1977 से 9 जुलाई 1977 तक राज्यपाल शासन (लक्ष्मीकांत झा)
- 9 जुलाई 1977 से 8 सितंबर 1982 तक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला
- 8 सितंबर 1982 से 2 जुलाई 1984 तक फारूक अब्दुल्ला
- 2 जुलाई 1984 से 6 मार्च 1986 तक ग़ुलाम मोहम्मद शाह
- 6 मार्च 1986 से 7 नवंबर 1986 तक राज्यपाल शासन (जगमोहन)
- 7 नवंबर 1986 से 19 जनवरी 1990 तक फारूक अब्दुल्ला
- 19 जनवरी 1990 से 9 अक्टूबर 1996 तक राज्यपाल शासन (जगमोहन)
- 9 अक्टूबर 1996 से 18 अक्टूबर 2002 तक फारूक अब्दुल्ला
- 2 नवंबर 2002 से 2 नवंबर 2005 तक मुफ्ती मोहम्मद सईद
- 2 नवंबर 2005 से 11 जुलाई 2008 तक गुलाम नबी आजाद
- 11 जुलाई 2008 से 5 जनवरी 2009 तक राज्यपाल शासन (एनएन वोहरा)
- 5 जनवरी 2009 से 8 जनवरी 2015 तक उमर अब्दुल्ला
- 3 मार्च 2015 से 7 जनवरी 2016 तक मुफ्ती मोहम्मद सईद
- 8 जनवरी 2016 से 3 जनवरी 2016 तक राज्यपाल शासन (एनएन वोहरा)
- 4 जनवरी 2016 से 19 जून 2018 तक महबूबा मुफ्ती
- 19 जून 2018 से वर्तमान तक राज्यपाल शासन और वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक हैं