जम्मू-कश्मीर में साल 2014 के बाद अब विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है. अगले कुछ ही महीनों में घाटी के लोगों को चुनी हुई सरकार मिल सकती है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि लंबे समय से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय राजनीतिक दल जो बात कर रहे थे, वही बात अब बीजेपी नेता भी करने लगे हैं. बीजेपी पदाधिकारियों की तरफ से बूथ लेवल पर तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं और नेताओं से कहा जा रहा है कि वो चुनाव के लिए तैयार रहें. कुल मिलाकर हाल ही में कुछ ऐसे बयान और हालात बने हैं जिनसे ये संकेत मिल रहे हैं कि जल्द जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. 


बीजेपी ने चुनाव के लिए कसी कमर
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की अटकलें पिछले कई महीनों से लगाई जा रही हैं, लेकिन अब इस बात को बीजेपी नेता पुख्ता कर रहे हैं. हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष की तरफ से आए बयान ने तमाम अटकलों को हवा देने का काम कर दिया. जिसमें उन्होंने बीजेपी की जम्मू-कश्मीर इकाई से कहा कि वो विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस लें. उन्होंने पार्टी प्रभारियों से कहा कि वो अपने-अपने इलाकों में चुनाव जीतने पर फोकस करें. इससे कुछ दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर इकाई के पदाधिकारियों के साथ दिल्ली में बैठक की थी.  


गृहमंत्री अमित शाह का दौरा
कश्मीर में चुनाव का दूसरा संकेत गृहमंत्री अमित शाह के दौरे से भी मिल रहा है. गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर के राजौरी पहुंचने वाले हैं, जहां वो चुनाव की तैयारियों का जायजा ले सकते हैं. इससे ठीक पहले बीजेपी के जम्मू कश्मीर अध्यक्ष रविंद्र रैना और जम्मू कश्मीर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने घाटी के मौजूदा हालात और जम्मू कश्मीर में चुनाव को लेकर अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद अब अमित शाह के दौरे को काफी अहम माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि अमित शाह यहां चुनाव के संकेत दे सकते हैं. 


विपक्ष भी कर रहा तैयारी
फिलहाल कश्मीर में कोई भी सरकार नहीं है और केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने के बाद यहां पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में तमाम गैर बीजेपी दल भी चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने भी बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. महबूबा ने हाल ही में पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति तैयार करने का काम किया. महबूबा ने नेताओं को निर्देश दिए कि वो जमीनी स्तर पर काम तेजी से शुरू कर दें. 


उधर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी चुनाव को लेकर लगातार मांग कर रहे हैं और उनकी पार्टी इसकी तैयारियों में जुटी है. अब्दुल्ला ने कुछ दिन पहले ही चुनाव को लेकर कहा था कि अगर इस साल भी कश्मीर में चुनाव नहीं हुए तो कोई बात नहीं, हम इसे लेकर भीख नहीं मांग सकते हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव हमारा अधिकार है. 


परिसीमन का काम पूरा
जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार ने 2019 में एक बड़ा फैसला लिया था, जिसमें घाटी को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को लगभग पूरी तरह से खत्म कर दिया गया. इससे पहले घाटी को पूरी तरह से सील कर दिया गया और पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत तमाम नेताओं को नजरबंद कर लिया गया. करीब डेढ़ साल बाद हालात सुधरने लगे तो परिसीमन की बात शुरू हुई. जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद ही चुनाव की बात कही गई. 


आखिरकार मई 2022 में परिसीमन पूरा हुआ और चुनाव आयोग ने बताया कि कश्मीर में कुल 90 विधानसभा सीटें और 5 लोकसभा सीटें होंगीं. हालांकि इस परिसीमन का जम्मू-कश्मीर के तमाम दलों ने जमकर विरोध किया और आरोप लगाया कि बीजेपी ने अपनी मर्जी के अनुसार काम किया है. कुल मिलाकर परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया, जिसका अब इंतजार है. 


सुरक्षा व्यवस्था एक अहम मुद्दा
कश्मीर में आतंक हमेशा से ही सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. पिछले दिनों आतंकियों ने लगातार टारगेट किलिंग को अंजाम दिया है और आम नागरिकों को निशाना बनाया है. नए साल की शुरुआत में भी आतंकियों ने राजौरी में कई लोगों की हत्या कर दी थी. ऐसे में केंद्र सरकार के लिए चुनाव से पहले सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा होगा. सुरक्षित चुनाव कराना केंद्र की सबसे बड़ी चुनौती होगी. 


यानी कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर में अगर हालात सामान्य रहते हैं तो आने वाले कुछ महीनों में यहां चुनाव कराए जा सकते हैं. फिलहाल केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की तरफ से इसे लेकर कुछ भी साफ नहीं किया गया है, लेकिन जिस तरह से बीजेपी नेता हरकत में आए हैं उससे ये संकेत जरूर मिल रहे हैं कि घाटी में चुनाव का माहौल बन रहा है. 


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