Jammu Kashmir: संसद में जम्मू कश्मीर परिसीमन और आरक्षण बिल के पारित होने के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी भी शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ पहली बार जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.


उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल


नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जल्द चुनाव को लेकर आशंका जताई है. उन्होंने 6 दिसंबर को कुलगाम में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा, "बीजेपी जम्मू-कश्मीर चुनाव के मुद्दे पर चुनाव आयोग के साथ कैच-कैच खेल रही है."


उन्होंने कहा, "अगर मेरी पार्टी को जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना होता तो मैं आज ही ऐसा कर देता, लेकिन बीजेपी चुनावी हार के डर से चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर रही है. जबकि चुनाव आयोग यह कह रहा है कि जब भी सरकार आदेश देगी वे चुनाव कराने के लिए तैयार हैं." उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराएगी.


महबूबा मुफ्ती ने बताया अवैध


पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने परिसीमन और आरक्षण की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे अवैध बताया. पार्टी के एक कार्यक्रम के लिए उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के दौरे पर गईं महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जब राज्य का विभाजन कानूनी जांच के दायरे में है, तो संसद कोई और कानून कैसे बना सकती है. उन्होंने कहा, "यह सब अवैध है और न केवल संसद, बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी कमजोर किया जा रहा है."


लोग चाहते हैं कि जल्दी हो मतदान


इस कहानी का एक दूसरा पहलू भी है. जहां राजनीतिक दलों ने पहले ही राज्य भर में जनसंपर्क कार्यक्रम और सार्वजनिक रैलियां शुरू कर दी हैं, वहीं लोग अपनी विधानसभा से विधायक चुनने के लिए पहली बार वोट डालने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.


स्थानीय कांग्रेस नेता हाजी अब्दुल गनी खान ने कहा, "बाहर से आए नौकरशाह वहां के स्थानीय मुद्दों और समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते, जिन्हें यहां से चुने गए प्रतिनिधि हल करने में सक्षम हैं."


कुपवाड़ा के 25 वर्षीय आतिफ कयूम ने कहा, "2014 के पिछले चुनाव में जो मतदाता नहीं थे, वे चाहते हैं कि चुनाव जल्दी हो क्योंकि यह लोकतंत्र की बुनियादी आवश्यकता है."


आतिफ ने कहा, "हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में रहते हैं और निर्वाचित सरकार का न होना शर्म की बात है. 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में कोई चुनाव नहीं हुआ है और नौकरशाही किसी निर्वाचित प्रतिनिधि या निर्वाचित सरकार की जगह नहीं ले सकती है."


2014 में हुआ था पिछला चुनाव


पूर्ववर्ती राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव साल 2014 के नवंबर-दिसंबर में हुआ था, जिसमें पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार सत्ता में आई थी. 5 अगस्त 2019 के बाद अनुच्छेद-370 को निरस्त करने और राज्य के विभाजन के साथ नए विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के विधेयक को गति दी गई थी. 


जम्मू कश्मीर में बीजेपी के करीबी नजीर अहमद ने कहा, मैं भारत सरकार से यूटी विधानसभा के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराने की अपील करता हूं." वे जम्मू कश्मीर में केंद्रीय परियोजनाओं और योजनाओं को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहे हैं.


सुप्रीम कोर्ट जाएगी पीडीपी


विभाजन से पहले जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 87 सीटें थीं, जिनमें कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में 4 सीटें थीं. नये परिसीमन के अनुसार, कश्मीर घाटी की 47 सीट को मिलाकर विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है.


पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने अब इसे भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के संकेत दिये हैं. वहीं, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी इसका सशर्त समर्थन करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी अनुच्छेद- 370 मामले पर फैसला नहीं सुनाया है.


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