जम्मू कश्मीर में ज्यादातर एग्जिट पोल हंग असेंबली की संभावना जा रहे हैं. ऐसे में जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा चुने जाने वाले 5 सदस्य किंग मेकर की भूमिका निभा सकते है. यही वजह है कि उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा पांच सदस्यों को मनोनीत करने के प्रस्ताव पर विवाद मचा हुआ है. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस खुलकर इसके विरोध में आ गए हैं. 



उप राज्यपाल द्वारा इन सदस्यों का चुनाव विधानसभा की पहली सिटिंग से पहले होना है. ऐसे में इन मनोनीत सदस्यों के पास विश्वास मत में भी वोटिंग का अधिकार होगा. एबीपी को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उप राज्यपाल जिन 5 सदस्यों का मनोनीत करेंगे, उनमें एक महिला, एक पीओके से आया शरणार्थी, 2 कश्मीरी विस्थापित और एक अन्य होगा. हर कैटेगरी के लिए 5-6 नाम भेजे गए हैं. 

सूत्रों के मुताबिक, एलजी की ओर से जिन 5 सदस्यों को नामांकित करना है, उसकी प्रक्रिया आज शाम या कल तक पूरी हो जाएगी. इन नेताओं को किया जा सकता है नामांकित:

1- संजीता डोगरा (महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं, जनसंघ आंदोलन से जुड़े पंडित प्रेम नाथ डोगरा की पौत्र वधु)
2- सुनील सेठी (जम्मू कश्मीर के जाने माने वकील और जम्मू कश्मीर बीजेपी के प्रवक्ता)
3- अशोक कौल (जम्मू कश्मीर में बीजेपी के संगठन महामंत्री और कश्मीरी पंडित)
4- रजनी सेठ (बीजेपी की कार्यकर्ता, महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर में प्रवक्ता)
5- डॉ फरीदा (सामाजिक कार्यकर्ता, जम्मू कश्मीर बीजेपी की सचिव)

निर्वाचित सदस्यों के बराबर ही होंगी मनोनीत पर शक्तियां

जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार चुनाव हुआ है. यहां तीन चरणों में मतदान कराया गया. नतीजे 8 अक्टूबर को आने हैं. हालांकि, इससे पहले उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा पांच सदस्यों को मनोनीत करने के प्रस्ताव पर विवाद शुरू हो गया है. दरअसल, नई सरकार के गठन में पांच मनोनीत विधानसभा सदस्यों (विधायकों) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. जम्मू-कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में इस संशोधन के अनुसार, जिसने सरकार को पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार दिया है, जो कश्मीरी विस्थापित व्यक्तियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे, उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधियों की तरह ही पूर्ण विधायी शक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे. 

तो 48 होगा बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 

इस नई व्यवस्था के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच मनोनीत सदस्यों समेत कुल 95 सदस्य हो जाएंगे, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत की सीमा 48 सीटों तक बढ़ जाएगी. उपराज्यपाल गृह मंत्रालय की सलाह के आधार पर इन सदस्यों को मनोनीत करेंगे. यह प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के बाद होगी, जिसे इन मनोनयनों को पेश करने के लिए 26 जुलाई, 2023 को और संशोधित किया गया था. 

PDP, NC, कांग्रेस सब कर रहे विरोध

पीडीपी नेता इकबाल त्रंबू ने हाल ही में इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस व्यवस्था का उद्देश्य सत्तारूढ़ दल की मदद करना है और ऐसा लगता है कि भाजपा पिछले दरवाजे से जम्मू-कश्मीर सरकार के गठन में प्रवेश करना चाहती है.  नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता इमरान डार ने कहा, कश्मीरी प्रवासियों और पीओजेके विस्थापितों को शामिल करने का उपयोग इन समुदायों के अनूठे मुद्दों को संबोधित करने के रूप में किया जा रहा है, लेकिन तथ्य यह है कि यह नई सरकार को कमजोर करेगा. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सुनील शर्मा ने कहा, सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया निर्वाचित सरकार पर छोड़ दी जानी चाहिए, जिसके पास जनादेश है. 

क्या कह रहे जम्मू कश्मीर के एग्जिट पोल?

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