(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jammu-Kashmir: झेलम नदी के किनारे सौंदर्यीकरण और विकास का काम हुआ शुरू, जल्द चलते दिखेंगी क्रूज बोट
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने झेलम नदी के किनारे का सौंदर्यीकरण और विकास शुरू किया है. नदी में क्रूज बोट भी चलायी जाएगी.
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत झेलम नदी के किनारे का सौंदर्यीकरण और विकास शुरू किया है. झेलम नदी के किनारों को साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर ना सुशोभित और प्रकाशित किया जाएगा पर साथ-साथ झेलम नदी में क्रूज बोट भी चलायी जाएगी. पहले चरण में श्रीनगर के जीरो ब्रिज से अमीराकदल के दो किलोमीटर पर यह रिवर फ्रंट तैयार होगा और यह काम सितम्बर महीने तक पूरा किया जाएगा.
सीईओ श्रीनगर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, अतहर आमिर खान के अनुसार झेलम नदी को न केवल श्रीनगर शहर की जीवन रेखा माना जाता है, बल्कि इसका समृद्ध और जीवंत इतिहास भी जुड़ा हुआ है. कुछ दशक पहले इसी नदी का उपयोग पुराने शहर (शहर-ए-खास) तक हर तरह का सामान और अन्य आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए किया जाता था. "साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर झेलम रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को अंजाम दिया जाएगा. साबरमती रिवर फ्रंट परियोजना के अध्यक्ष केशव वर्मा इस परियोजना के विकास के लिए अपनी विशेषज्ञता साझा करेंगे" अतहर ने कहा.
"बंड" नाम से जाना जाता झेलम नदी का किनारा
झेलम नदी के किनारे को "बंड" के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान रहा है. लेकिन तटबंध को सुशोभित करने के लिए कई परियोजनाओं के बावजूद यह अभी भी इतना सुखदायक और सौंदर्यपूर्ण नहीं है. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की गहरी दिलचस्पी के साथ, प्रशासन स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत झेलम नदी के किनारों के एक बड़े सुधार और सौंदर्यीकरण की योजना बना रहा है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हाल ही में झेलम रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया और अधिकारियों को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए.
पर्यटन के अधिक रास्ते खोल देगी परियोजना
जीरो ब्रिज से अमीराकदल ब्रिज तक 2 किमी का विस्तार सितंबर 2022 के महीने तक पूरा होने की संभावना है. अधिकारियों के अनुसार यह परियोजना श्रीनगर शहर में पर्यटन के अधिक रास्ते खोल देगी. स्थानीय लोगों ने इसे अहम कदम बताते हुए प्रशासन से काम में तेजी लाने की अपील की है. स्थानीय लोगो में इस प्रोजेक्ट के आने से ख़ुशी भी है उम्मीद भी कि शायद इस बार झेलम नदी के किनारे पुराणी शान पर लोट आएंगे.
झेलम नदी के किनारों का सौंदर्यीकरण पहले भी किया गया था लेकिन इस पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद इन परियोजनाओं का कोई उचित परिणाम नहीं निकला. झेलम नदी में जल परिवहन भी कई बार शुरू किया गया था लेकिन वह भी सफल नहीं हुआ.
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