Jammu Kashmir: आधी रात पाकिस्तान बॉर्डर के पास हाई वे पर चिनूक और MI-17 हेलीकॉप्टर्स ने की इमरजेंसी लैंडिंग, जानें माजरा क्या है
Jammu Kashmir News: आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के लिए 3.5 किलोमीटर लंबी पट्टी पर 2020 में काम शुरू हुआ था और यह पिछले साल पूरा हो गया.
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Jammu Kashmir News: भारतीय वायुसेना के पांच हेलीकॉप्टर आपातकालीन स्थिति में उतरने के अभ्यास के तहत जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर उतरे. जम्मू कश्मीर में यह इस तरह का पहला अभ्यास था. अफसरों की ओर से मंगलवार (दो अप्रैल, 2024) को बताया गया कि अमेरिका निर्मित दो चिनूक, रूस निर्मित एक एमआई-17 और दो उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात राजमार्ग के वानपोह-संगम मार्ग पर उतरे. यह राजमार्ग कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.
अधिकारियों के अनुसार, अभ्यास देर रात दो बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ और इस दौरान हेलीकॉप्टर राजमार्ग पर उतरे. उन्होंने तब जमीन पर पड़े सैनिकों को उठाने का अभ्यास किया था. अभ्यास बिना किसी परेशानी के पूरा हुआ. सबसे खास बात है कि इस अभ्यास के बाद जम्मू कश्मीर आपातकालीन लैंडिग सुविधा (ईएलएफ) वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. जम्मू कश्मीर से पहले आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीन ऐसे राज्य हैं, जहां फिलहाल ईएलएफ है.
...तो इन कामों में लगाए जाते हैं चिनूक और MI-17
ये चॉपर्स प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में लगाए गए हैं. चिनूक की अधिकतम गति 310 किमी प्रति घंटा है, जिसका इस्तेमाल वजन उठाने के लिए होता है. मुख्य कैबिन में 33 से ज्यादा पूर्णतः सुसज्जित सैनिक बैठ सकते हैं और इसका इस्तेमाल चिकित्सा निकासी के लिए भी किया जा सकता है और इसमें 24 स्ट्रेचर समायोजित किए जा सकते हैं.
3.5Km लंबी पट्टी पर चार साल पहले चालू हुआ था काम
एमआई-17 हेलीकॉप्टर में 35 सैनिकों के बैठने की जगह है. एएलएच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से स्वदेशी रूप से विकसित है और इसमें दो इंजन हैं. इसका इस्तेमाल लोगों के हताहत होने पर उन्हें निकालने के लिए किया जाता है, जबकि वहां पर आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के लिए 3.5 किलोमीटर लंबी पट्टी पर 2020 में काम शुरू हुआ था और यह पिछले साल पूरा हो गया.
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