Jammu Kashmir Budget 2024: जम्मू-कश्मीर में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लाया गया अंतरिम बजट कई मायनों में बेहद खास रहा. फिर चाहे इसको लाए जाने से जुड़ी तारीख हो या फिर कुल रकम, यह इन दोनों ही मामलों में स्पेशल है. सोमवार (5 फरवरी, 2024) को इसे देश की संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तब पेश किया जब आतंकवाद के लिए दुनियाभर में कुख्यात पाकिस्तान में "कश्मीर एकजुटता दिवस" (कश्मीर सॉलिडैरिटी डे) मनाया जा रहा था, जबकि केंद्र शासित प्रदेश के बजट की कुल रकम पाक को इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) से कुछ समय पहले मांगे गए कुल कर्ज की रकम से लगभग साढ़े 4 गुणा अधिक है.
जनवरी, 2024 में पाकिस्तान को आईएमएफ ने 700 मिलियन का लोन मंजूर किया था, जबकि उसके बेलआउट पैकेज की पूरी रकम 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी. यही वजह है कि इस मसले को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सिर्फ कर्जे के सहारे रेंग रही है, जबकि इंडिया विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
जम्मू-कश्मीर के बजट में क्या कुछ है?
जम्मू-कश्मीर का अंतरिम बजट 1.18 लाख करोड़ रुपए का है जिसमें राजकोषीय घाटा 20,760 करोड़ रुपए और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इस बजट के अनुसार, 2024-25 लिए पूंजीगत व्यय 38,566 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है. यह जीएसडीपी का 14.64% है. वहीं, अगले वित्त वर्ष के लिए राजस्व प्राप्तियां 97,861 करोड़ रुपए रहने की संभावना है.
JK के वित्त विभाग ने कही यह बात
जम्मू-कश्मीर के वित्त विभाग के बयान में कहा गया, "केंद्र इस वित्त वर्ष में केंद्र शासित प्रदेश सरकार को 41,751.44 करोड़ रुपये और अगले वित्त वर्ष में 37,277.74 करोड़ रुपये देने पर राजी हुई है. इन सहायता आंकड़ों को केंद्र सरकार के 2023-24 के संशोधित अनुमान और 2024-25 के बजट अनुमान में विधिवत शामिल किया गया है."
'जमीनी स्तर पर लोकतंत्र मजबूत करता है बजट'
उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक्स पर पोस्ट के जरिए कहा था- मैं जम्मू-कश्मीर के अंतरिम बजट 2024-25 के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभारी हूं। यह किसानों, महिलाओं, युवाओं, समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को समर्पित है और केंद्र शासित प्रदेश में जमीनी स्तर के लोकतंत्र को मजबूत करने का प्रयास करता है. अंतरिम बजट तेजी से आर्थिक विकास की सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है. यह इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि विकास सामाजिक रूप से समावेशी और टिकाऊ हो. यह बजट कृषि अर्थव्यवस्था के तेजी से विस्तार पर ध्यान केंद्रित करता है और ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटने के अलावा क्षेत्रीय असंतुलन के मुद्दे को भी संबोधित करता है.