Dal Lake Fire: 3 मौतें, पांच हाउसबोट्स और 12 घर जलकर राख, डल झील में आग से करोड़ों का नुकसान
Fire in Dal Lake: श्रीनगर की डल झील में शनिवार को भीषण आग लगी थी, जिसमें करोड़ों का नुकसान हुआ है. बताया जा रहा है कि यह आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी थी.

Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में शनिवार (11 नवंबर) को डल झील में सुबह-सुबह लगी भीषण आग ने करोड़ों रुपये की संपत्ति को नष्ट कर दिया. आग की लपटों में जो संपत्ति जलकर खाक हो गई, उनमें पांच हाउसबोट, 12 हट और घर और उनके अंदर मौजूद सभी सामान शामिल था. आग की लपटें इतनी भीषण थी कि दो हाउसबोट में सवार 11 पर्यटकों में से केवल आठ को ही बचाया जा सका और बांग्लादेश के तीन पर्यटकों की जलकर मौत हो गई. कुल नुकसान का आंकड़ा 40 करोड़ रूपये के करीब आंका गया.
हाउसबोट मालिक संघ के अध्यक्ष मंज़ूर अहमद पख्तून के अनुसार, डल और नगीन झीलों के 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सिर्फ एक फायर स्टेशन है जिसमें 5 अग्निशामक बॉट है. दस साल पहले हाउस बोट संग ने प्रशासन के साथ मिलकर सरकार को प्रस्ताव दिया था कि झील में अग्निशामक बोट तैनात की जाए और फायर स्टेशन की संख्या बढ़ाई जाए लेकिन आज तक इस पर कोई काम नहीं हुआ.
इसका परिणाम यही है कि झील के अंदर आग की घटनाएं अधिक विनाशकारी होती जा रही हैं. इस साल अलग-अलग घटनाओं में 13 हाउस बोट को नुकसान हुआ है जबकि पिछले 10 सालों में 30 से ज्यादा हाउस बोट आग की भेंट चढ़ चुकी हैं.
'हम पानी पर हैं फिर भी हमारी बोट को नहीं बचाया जा सका'
मुनीर अहमद के मुताबिक, हाउसबोट में अग्निशामक यंत्र के रूप में बुनियादी फायर एक्सटीन्गुइशेर होते हैं. नाव लकड़ी से बनी होती है और अग्निशामक यंत्र तब काम करते हैं जब आग आंखों के सामने होती है, लेकिन लकड़ी से बने हाउसबोट में जब तक किसी को पता चलता है आग पहले से ही बहुत बड़ी बन चुकी होती है. तारिक ने कहा कि मेरी नाव आग बुझाने वाले यंत्र की तरह है. यह पेशेवर दमकल गाड़ियों की जगह नहीं ले सकती.
फारूक अहमद ने बताया कि डल झील में हमारी 9 बोट है और झील में हम 5 मिनट से दस मिनट तक पहुंच जाते है जो दूरी पर निर्भर है. आने वाले दिनों में हम और फायर स्टेशन बना रहे हैं लेकिन अभी भी जो साधन हमारे पास है वह झील में हाउस बोट की आग के लिए काफी हैं. हाउसबोटों को अधिकारियों द्वारा निर्दिष्ट स्थानों पर ही रखा जा सकता ही और पंक्ति में नावों के बीच एक छोटे से अंतर के साथ स्थायी रूप से डॉक किया जाता है. सभी हाउसबोट अगल-बगल स्थित में हैं और यदि उनमें से किसी में भी आग लग जाए तो ऐसी दुर्घटनाओं का खतरा रहता है और गैस सिलेंडर, बुखारी और बिजली के कंबल जैसे खुली लौ तापन उपकरणों के उपयोग से खतरे बढ़ जाते हैं.
पर्यटन विभाग के अधिकारियों के रिकॉर्ड के अनुसार, नावों की संख्या 1970 के दशक में 3,000 से घटकर आज 850 से कुछ अधिक हो गई है और कुल क्षमता लगभग 2,400 अतिथि कक्षों की है. इनमें से लगभग 200 को परिचालन में बने रहने के लिए तत्काल बड़ी मरम्मत की आवश्यकता है. मंजूर पख्तून ने मामलों की खेदजनक स्थिति पर विचार करते हुए कहा कि हमें किसी भी आग को बुझाने के लिए पानी की आवश्यकता है, यहां हम पानी पर हैं और फिर भी हमारी हाउस बोट को बचाया नहीं जा सका.
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