Delimitation Panel: जम्म-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद परिसीमन समिति ने अपने कार्यकाल के खत्म होने से एक दिन पहले अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. समिति की इस रिपोर्ट में 7 विधानसभा सीटों का इजाफा किया गया है और जम्मू क्षेत्र को 43 सीटें और कश्मीर क्षेत्र को 47 सीटें बांटकर जम्मू-कश्मीर को 90 विधानसभा सीटों वाला राज्य बना दिया है. इसके साथ ही समिति ने 16 सीट रिजर्व रखने का भी सुझाव दिया है. इन सब के अलावा लोकसभा की 5 सीटें भी हैं. ये रिपोर्ट जारी होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा भी था कि परिसीमन का काम खत्म होने के बाद यहां चुनाव होंगे.


इस मामले पर परिसीमन समिति के सदस्य सुशील चंद्र ने कहा है कि सीटों का बंटवारा करने के साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि पहले कई जिलों को मिलाकर एक विधायक होता था लेकिन अब एक जिले में एक विधानसभा सीट को रखा गया है. इसके साथ ही 18 विधानसभा सीटों को मिलाकर एक संसदीय क्षेत्र बनाया गया है. उन्होंने बताया कि पहली बार जम्मू-कश्मीर में 9 सीटें अनसूचित जनजाति के लिए रखी गईं हैं. इसमें से 6 सीटें जम्मू और 3 सीटें कश्मीर क्षेत्र के लिए रखी गई हैं. जबकि अनसूचित जाति के लिए पहले की तरह 7 विधानसभा सीटें रखी गईं हैं. आपको बता दें कि परिसीमन समिति का कार्यकाल कल यानि शुक्रवार को खत्म होने वाला है, उससे पहले ही समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए.





जम्मू-कश्मीर में सीटों का गणित कुछ इस प्रकार है-


विधानसभा के लिए


   पहले                                                                                                                  अब


कुल सीटें- 83                                                                                                  कुल सीटें- 90


कश्मीर क्षेत्र- 46                                                                                             कश्मीर क्षेत्र- 47


जम्मू क्षेत्र-  37                                                                                                 जम्मू क्षेत्र- 43


अनसूचित जाति-  7                                                                              अनसूचित जाति- 7 (आरक्षित)


अनसूचित जनजाति- 0                                                                        अनसूचित जनजाति- 9 (आरक्षित)


कश्मीरी प्रवासी-   0                                                                                     कश्मीरी प्रवासी- 2


इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर के लिए 24 सीटें रखीं गई हैं. पहले इन सीटों को खाली रखा गया था. इन सभी सीटों को मिलाकर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 114 सीटें हो जाएंगी.


लोकसभा के लिए-


परिसीमन समित ने जम्मू-कश्मीर में लोकसभा सीटों में भी परिवर्तन किया है.


दोनों को 2.5 और 2.5 सीटों के माध्यम से बांटा है.


हर लोकसभा सीट में 18 विधानसभाएं आएंगी.


घाटी को लेकर क्या है रिपोर्ट में?
तीन सदस्यीय आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, घाटी में बढ़ाई जाने वाली एकमात्र विधानसभा सीट कुपवाड़ा जिले में है और इस जिले में छह सीट होंगी. अनंतनाग जिले को भी एक विधानसभा सीट मिली है और इसमें अब सात निर्वाचन क्षेत्र होंगे लेकिन पड़ोसी कुलगाम जिले में यह संख्या घटकर तीन हो गई है.


आयोग ने जनता की नाराजगी को देखते हुए श्रीनगर जिले के हब्बा कदल निर्वाचन क्षेत्र को बरकरार रखा है लेकिन उसने अमीरा कदल, सोनावर और बटमालू निर्वाचन क्षेत्रों के नाम हटा दिए हैं. अमीरा कदल का नाम कश्मीर के 18 वीं सदी के अफगान गवर्नर अमीर खान के नाम पर रखा गया था जबकि बटमालू का नाम एक सूफी संत के नाम पर था जिनकी दरगाह राज्य सचिवालय के पास ही स्थित है.


अमीरा कदल और सोनावर को मिलाकर एक नया निर्वाचन क्षेत्र लाल चौक बनाया गया है वहीं पुराने अमीरा कदल निर्वाचन क्षेत्र की चनापोरा तहसील से काट कर एक नया निर्वाचन क्षेत्र बनाया गया है. बारामूला जिले में, तंगमर्ग निर्वाचन क्षेत्र का नाम बदलकर गुलमर्ग कर दिया गया है.


जानते हैं परिसीमन क्या होता है


परिसीमान का मतलब चुनाव से पहले सीमाओं का निर्धारण करना होता है. किसी देश या राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा या क्षेत्र की सीमा तय करने का कार्य को परिसीमन कहा जाता है. अब हर देश में जनसंख्या बढ़ती रहती है ऐसे में जनसंख्या में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से तैयार किया जाता है और इसी प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं. परिसीमन का उद्देश्य जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का सही प्रकार से विभाजन करना है. परिसीमन समित स्वतंत्र रूप से काम करती है. परिसीमन समिति का गठन राष्ट्रपति करते हैं.


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