जम्मू / श्रीनगर: 2017 में भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर में 218 आतंकी मार गिराए और इसी दौरान कश्मीर में 8814 किलो ड्रग्स बरामद हुआ. 2017 में जम्मू कश्मीर में loc से घुसपैठ की 310 वारदात हुईं और इसी दौरान यहां 1800 से ज्यादा लोगों को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया गया. सवाल ये है कि क्या ड्रग्स और आतंकवाद के बीच कोई रिश्ता है?
जम्मू कश्मीर में पिछले एक साल में आतंक की 337 वारदात हुई जबकि राज्य में इसी दौरान एनडीएस एक्ट के तहत 1506 केस दर्ज हुए. जानकारी के मुताबिक नोटबंदी और एनआईए के कश्मीर हवाला नेटवर्क पर प्रहार के बाद जब कश्मीर में आतंकी पैसे को मोहताज होने लगे तो उन्होंने ड्रग्स की तस्करी का सहारा लिया.
पिछले एक साल में जो माल जब्त किया गया है-
- 2 लाख रुपये किलो वाली 174 किलो चरस
- 25 हजार रुपये किलो वाला 8260 किलो पॉपी स्ट्रॉ
- 5 लाख रुपये किलो वाली 140 किलो हेरोइन
- 1 लाख रुपये किलो वाला 240 किलो गांजा
- नशे के 2 लाख 47 हजार कैप्सूल
अब ये तो साफ है कि पाकिस्तान नकली नोटों और हवाला के जरिए आतंकियों की मदद करता था लेकिन अब ड्रग्स के कारोबार से पैसों का इंतजाम किया जा रहा है. अब सवाल ये कि जब सीमा पर कड़ी चौकसी रहती है तो ये ड्रग्स आता कहां से है? जानकारी के मुताबिक सूखे मेवे के व्यापार के लिए कश्मीर और पाकिस्तान के बीच एक रास्ता है. कई दूसरे रास्तों के साथ इस रास्ते से भी नशे का कारोबार किया जाता है.
दक्षिण कश्मीर के शोपियां, पुलवामा, अनंतनाग और कुलगाम जिलों में चरस और गांजे का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है और यही जिले आतंकी वारदात के लिए कुख्यात हैं. बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान के रास्ते भारत तक ड्रग्स पहुंचाई जा रही है.
साल 2015 में एनडीपीएस एक्ट के तहत 275 मामले दर्ज हुए, 2016 में बढ़कर 377 और पिछले साल करीब दोगुना होकर 628 मामले दर्ज किए गए. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डारेक्टर मनोज कुमार के मुताबिक इस काम में पाकिस्तान की आर्मी और खुफिया एजेंसियां भी शामिल हैं.