Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद अब पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. सूत्रों ने बताया है कि इस साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर में विधान सभा, नगर निकाय और पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं.


अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराने के लिए सितंबर 2024 तक की समय-सीमा निर्धारित की है. इसी के मुताबिक चुनाव की तैयारियां की जा रही हैं.


10 सालों से नहीं हुए हैं पंचायत चुनाव
जम्मू कश्मीर में हिंसा और तनावपूर्ण माहौल की वजह से विधानसभा के चुनाव 2014 के बाद से नहीं हुए हैं. इसके अलावा राज्य के 4,892 निर्वाचित ग्राम पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल मंगलवार (9 जनवरी) को समाप्त हो गया. लगभग दो महीने पहले, दो नगर निगमों, 19 नगर परिषदों और 57 नगर पालिकाओं सहित शहरी स्थानीय निकायों का कार्यकाल भी 14 नवंबर, 2023 को समाप्त हो गया था. इनका गठन 13 वर्षों के बाद पार्टी प्रतीकों पर हुए चुनावों के माध्यम से किया गया था. हालांकि, नई संरचना के तहत जिला विकास परिषदें, जो सीधे लोगों द्वारा चुनी जाती हैं,अभी कायम रहेंगी, क्योंकि इनके चुनाव 2020 में ही हुए थे.


पहली बार मिलेगा ओबीसी आरक्षण
सरकार के सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव से पहले शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव कराना संभव नहीं है. इसकी वजह बेहद खास है. इस बार पहली बार चुनाव में ओबीसी आरक्षण का लाभ उम्मीदवारों को मिलेगा. जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने अभी हाल ही में 28 दिसंबर, 2023 को जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया है, जो शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण की अनुमति देता है. इस वजह से राज्य में पहली बार स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मिलने जा रहा है.


केंद्र सरकार ने पारित किया है जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक
चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने हाल ही में बड़ा कदम उठाया है. संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन विधेयक), 2023  पारित करवाया था. इसके तहत अब जम्मू-कश्मीर के पंचायत और निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण दिया जा सकता है. यह एक संवैधानिक मुद्दा था, जो राज्य स्तर पर नहीं सुलझाया जा सकता था क्योंकि ऐसे अधिकार के प्रावधान राज्य चुनाव आयोग के पास नहीं थे.


अभी भी आसान नहीं है ओबीसी आरक्षण
भले ही केंद्र सरकार ने इस विधेयक को पारित किया है लेकिन अभी भी स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करना इतना आसान नहीं है. इसकी वजह है कि आरक्षित किए जाने वाले नगरपालिका निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करना, और नगरपालिका चुनाव प्रक्रियाओं को संचालित करने के लिए राज्य चुनाव आयोग की शक्तियों का हस्तांतरण संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अब मुख्य निर्वाचन अधिकारी को होना बाकी है.


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