Jammu Kashmir: बेहतरीन फिजिकल ट्रेनिंग, अमेरिकी हथियार और ड्रग्स... इस तरह घाटी में सैनिकों को निशाना बना रहे आतंकी
Jammu Kashmir Terrorist: जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी सैनिकों को जंगलों में छिपकर निशाना बनाते हैं और फिर से जंगलों में छिप जाते हैं, इसके लिए उन्हें बेहतरीन ट्रेनिंग दी जाती है.
Terrorist Training: जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में हुए आतंकवादी हमलों के पीछे बेहतर कम्युनिकेशन इक्विपमेंट जिसका इस्तेमाल करके एन्क्रिप्टेड मैसेज भेजना, लेटेस्ट राइफल्स का इस्तेमाल, आतंकवादियों को बेहतर साइकोलॉजिकल और फिजिकल ट्रेनिंग और मादक पदार्थों के इस्तेमाल में तेजी से इजाफा है.
इस बात की जानकारी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दी गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को उधमपुर जिले के डुडू इलाके में संयुक्त सुरक्षा दल (सीआरपीएफ) पर आतंकवादियों की गई गोलीबारी में सीआरपीएफ के एक इंस्पेक्टर की मौत हो गई थी. पिछले पांच दिनों में जम्मू क्षेत्र में यह दूसरा ऐसा हमला है. 14 अगस्त को पटनीटॉप हिल स्टेशन से सटे डोडा जिले के अकर जंगलों में गोलीबारी में एक आर्मी कैप्टन की मौत हो गई थी और एक नागरिक घायल हो गया था.
आतंकवादी कर रहे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की इस्तेमाल
अधिकारियों के मुताबिक, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार अपने ऑपरेटर्स को एन्क्रिप्टेड मैसेज भेजने के लिए आतंकवादी अल्ट्रा सेट का उपयोग करते हैं. ये एक बुनियादी रेडियो सेट होता है जो बिना सिम कार्ड के मोबाइल सेट से जुड़ा होता है. मोबाइल फोन में एक मल्टीमीडिया एप्लीकेशन इंस्टॉल किया जाता है और इसे वायरलेस के माध्यम से रेडियो सेट से जोड़ा जाता है. किसी भी संदेश को पहले एन्क्रिप्ट किया जाता है और फिर अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (UHF) के माध्यम से प्रसारित किया जाता है.
एलओसी पार भेजे जाते हैं मैसेज
हमले के दौरान, जमीन पर मौजूद आतंकवादी आपस में संवाद के लिए उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करते. सभी मैसेज एलओसी के पार कंट्रोल को भेजे जाते हैं और जरूरी कार्रवाई करने के लिए संबंधित दूसरे लोगों को वापस भेजे जाते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संपर्क केवल नियंत्रण और आतंकवादियों के बीच ही बना रहे. अधिकारियों ने बताया कि संदेश भेजे जाने के तुरंत बाद रेडियो सेट बंद कर दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि जब सुरक्षा बल जगह का पता लगा लेते हैं तो भेजे गए संदेश तक पहुंचा नहीं जा सकता.
अधिकारियों के मुताबिक, आतंकवादियों को स्थानीय आबादी से दूर रहने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जाती है. ऊंची जगहो से काम करने की वजह से आतंकवादी हमला करने के बाद पहाड़ों और जंगलों में छिप जाते हैं.
लेटेस्ट हथियारों का इस्तेमाल करते हैं आतंकी
अधिकारियों ने बताया कि पहले की तुलना में अब आतंकवादी बेहतर हथियारों का इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के लिए, वे रात में देखने वाली अमेरिका की नाइट साइट एम4 राइफलों का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक अधिकारी ने कहा, "इससे उन्हें रेंज का लाभ मिलता है और ऑपरेशन के दौरान सेना की आवाजाही का पहले पता चल जाता है, जिससे वे जंगलों में गायब होने से पहले सुरक्षा बलों को पहले नुकसान पहुंचा सकते हैं."
हमलों के लिए पैसे इकट्ठा करने के सवाल पर एक अधिकारी ने कहा, "नियंत्रण रेखा के पार से ड्रोन और मानव कूरियर दोनों का उपयोग करके कई नशीले पदार्थ भेजे जा रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि बड़ी मात्रा में नकदी के बजाय नशीले पदार्थों का एक छोटा पैकेज ले जाना आसान है."
ड्रग्स बेच करते हैं पैसे इकट्ठे
जुटाए गए फंड को जमीनी कार्यकर्ताओं (OGW) को दिया जाता है और हथियारों सहित किसी भी तरह के सामान की स्थानीय खरीद के लिए वितरित किया जाता है. मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि धार्मिक प्रेरणा हमेशा एक प्रमुख कारक रही है, लेकिन हाल के समय में उनके परिवारों को दिए गए अतिरिक्त फंड ने भी उन्हें हमले करने के लिए प्रेरित किया है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, "बढ़ी हुई मौद्रिक लाभ और आतंकवादियों के साथ कम या कोई सीधा संपर्क न होने के कारण, कुछ OGW भी उनकी सहायता करने में सुरक्षित महसूस करते हैं."
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