जम्मू कश्मीर की राजनीति में धारा-370 हटने के बाद एक बार ये सबसे बड़ा मुद्दा बनकर वापस लौट रहा है. आज श्रीनगर में नेशनल कॉन्फ़्रेन्स अध्यक्ष डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला के घर पर एक अहम बैठक हो रही है जिस में 4 अगस्त 2019 को साझा बयान जारी करने वाले सभी राजनीतिक दल और नेता शामिल हो रहे हैं. फारूक अब्दुल्ला इस बैठक की अगुवाई करेंगे.


गुपकार डेक्लरेशन नाम से जारी इस बयान में जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों ने तत्कालीन राज्य के विशेष अधिकारों और धारा-370 को हटाने के किसी भी प्रयास का मिलकर विरोध करने पर सहमति दी थी. अब करीब 14 महीने के बाद आज इस राजनीतिक गठबंधन की दूसरी बैठक हो रही है.


कौन-कौन से दल बैठक में होंगे शामिल
मंगलवार को पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बाद फारूक और उमर अब्दुल्ला महबूबा से मिले. इसके बाद बैठक के बारे में जानकारी शेयर की गयी. आज की बैठक में नेशनल कॉन्फ़्रेन्स के अलावा पीडीपी, कांग्रेस, सजाद लोन की पीपल्स कॉन्फ़्रेन्स, PDF, CPIM और अन्य दलों के शामिल होने की उम्मीद है. शाह फेजल के शामिल होने पर असमंजस बना है क्योंकि वह पहले ही सक्रिय राजनीति छोड़ने की घोषणा कर चुके है. केवल बीजेपी और पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी इस बैठक के विरोध में है. ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या प्रदेश प्रशासन महबूबा मुफ्ती के कड़े बयान के बाद इस बैठक को अनुमति देगा.


बैठक चार बजे शुरू होगी और कब तक चलेगी, इस पर कोई जानकारी नहीं है. लेकिन इसके बाद जम्मू कश्मीर में मुख्यधारा की राजनीति किस करवट बैठती है साफ हो जाएगा. महबूबा मुफ़्ती की रिहाई के बाद दिए बयान से यह साफ है कि कम से कम पीडीपी इस मामले में केंद्र सरकार और बीजेपी के साथ खुली जंग के लिए कमर कस चुकी है.


इस बैठक को गुपकर घोषणा क्यों कहा गया
गुपकर घोषणा का एलान 4 अगस्त 2019 में किया गया था. इसमें कहा गया था अनुच्छेद 35A और 370 को खत्म करना या बदलना असंवैधानिक है. राज्य का बंटवारा कश्मीर और लद्दाख के लोगों के खिलाफ ज्यादती है. इस घोषणा में केंद्र सरकार के 370 पर लिए एक्शन को साजिश का बताया गया था. इसी घोषणा में कश्मीर में राजनीतिक दलों ने एलान किया था कि वो जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से पहले के दर्ज के लिए संघर्ष करेंगे. गुपकर घोषणा का एलान फारूक अब्दुल्ला के गुपकर आवास पर हुआ था इसलिए इसे गुपकर घोषणा कहा गया.


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