Jammu Kashmir: आतंकी संगठन में भर्ती होने वालों की संख्या में कमी, 2022 में नवंबर तक 100 से कम युवा हुए शामिल
Jammu Kashmir Militant: साल 2022 में नवंबर तक 11 महीनों में 113 आतंकवाद विरोधी अभियानों (Counter Terror Operations) में 170 से अधिक आतंकवादी (Terrorist Killed) मारे गए हैं.
Jammu and Kashmir Militancy: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और आतंकी गतिविधियां बड़ी समस्या रही है. हाल के दिनों में टारगेट किलिंग का भी खतरा काफी बढ़ा है. आतंकी घटनाओं में सबसे अधिक शिकार यहां के रहने वाले स्थानीय और सुरक्षाबल के जवान होते हैं. हालांकि भारतीय सुरक्षाबल आतंकवादियों (Terrorist) पर पूरी तरह से नकेल कसने के लिए प्रयासरत है. इस बीच अच्छी खबर ये है कि आतंकी संगठनों में भर्ती होने वालों की संख्या में कमी आई है.
मौजूदा कैलेंडर 2022 में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में आतंकवादी संगठनों में भर्ती होने वाले दहशतगर्दों की संख्या में न केवल महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है, बल्कि यह 6 सालों में सबसे कम भी है.
भर्ती होने वालों की संख्या 100 से कम
आतंकवादी संगठनों में भर्ती होने वाले युवाओं की संख्या 2022 में 100 से नीचे रहा. इस साल नवंबर के अंत तक कश्मीर से आतंकवादियों की भर्ती होने वालों की संख्या 99 थी. इसमें से 63 दहशतगर्द मारे जा चुके हैं. वहीं, 17 गिरफ्तार हो चुके हैं और 19 अब भी आतंकी गतिविधियों में सक्रिय हैं. पिछले 6 सालों में 2018 में आतंकवादी संगठनों में 206 लोगों की सबसे बड़ी भर्ती देखी गई थी.
साल 2018 के बाद से गिरावट
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 के बाद से पुलिस ने हर साल आतंकवादी संगठनों में भर्ती होने वाले युवाओं की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की है. 2019 में 150 से कम रहने के बाद, 2020 में आतंकी संगठनों में भर्ती होने वालों की संख्या में फिर से थोड़ी बढ़ोत्तरी देखी गई और अगले दो सालों तक फिर से 150 से कम रही. इस साल 11 महीनों में अब तक 113 आतंकवाद विरोधी अभियानों में 170 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं.
भर्ती में कमी की वजह
सीनियर सुरक्षा अधिकारी तुरंत गिरफ्तारी, हथियारों की खरीद में कठिनाई और आतंकवाद की बदलती प्रकृति सहित कई कारकों को भर्ती में कमी की वजह मानते हैं. जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने पहले बताया था कि आतंकी संगठनों के तौर-तरीके बदल गए हैं और अब वे तुरंत आतंकवादियों से आतंकी वारदात के लिए कहते हैं. ग्रेनेड फेंकने, किसी पर गोली चलाने या किसी को जान से मारने के लिए निर्देश दिए जाते हैं. एक बार जब वे आतंकी संगठनों में शामिल हो जाते हैं तो यह समाज में उनकी वापसी को रोकने का एक तरीका बन जाता है.
हिंसा की प्रवृत्ति बरकरार
इस साल टारगेट किलिंग (Target Killing) की ज्यादातर घटनाओं में शामिल अपराधियों का कोई पिछला इतिहास नहीं है. हालांकि इंटरनेट के माध्यम से भर्ती एक बड़ी समस्या बनी हुई है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी कहा कि आतंकवाद से संबंधित घटनाओं की संख्या में कमी आई है लेकिन हिंसा की प्रवृत्ति कम नहीं हुई है. खुले तौर पर आतंकियों की भर्ती कम हुई है, लेकिन घाटी में अभी भी हमले हो रहे हैं.
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