Jammu Kashmir: LG मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के पहले निजी मेडिकल कॉलेज की रखी आधारशिला, बोले- मिलेगा रोजगार
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिल्ली के मिल्ली ट्रस्ट के बनाए गए कश्मीर मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की आधारशिला रखी.
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में निवेश की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. इसके तहत कश्मीर में पहले निजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में काम शुरू हो गया है. दिल्ली का मिल्ली ट्रस्ट इस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को पुलवामा जिले के सेमपोरा में बना रहा है, जो पिछले साल सरकार की प्रस्तावित दो मेडिसिटी का हिस्सा होगा.
मेडिसिटी में मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, सुपर स्पेशियलिटी सेंटर, नर्सिंग कॉलेज, अस्पताल प्रबंधन केंद्र, डेंटल कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज, मेडिकल एजुकेशन हब, आयुष केंद्र, रिसर्च सेंटर, स्टाफ क्वार्टर और गेस्ट हाउस होंगे.
पहले फेस में कितना काम होगा?
पहले चरण में पांच अस्पताल, दो मेडिकल कॉलेज और एक नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थान सह अस्पताल स्थापित किया जाएगा. मिल्ली ट्रस्ट मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थापित करने वाला पहला संस्थान है. 525 करोड़ रुपये की परियोजना से कई युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 150 एमबीबीएस सीटों के साथ मेडिकल कॉलेज का विकास करेगा. ये 100 बिस्तरों वाला अस्पताल सस्ती दरों पर विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करेगा.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने क्या कहा?
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिल्ली के मिल्ली ट्रस्ट के बनाए गए कश्मीर मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की आधारशिला रखी. यह प्रोजेक्ट 2000 स्थानीय युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान करेगी.
'निजी निवेश के लिए नया युग है'
शिलान्यास समारोह के बाद मनोज सिन्हा ने कहा कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े निवेशों में से एक है. ये दक्षता और देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करेगा. उन्होंने कहा कि यह परियोजना नया कश्मीर का हिस्सा है और यह जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में निजी निवेश के लिए एक नया युग है.
कश्मीर के सेमपोरा में मेडिसिटी में अस्पताल और मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए आठ फर्मों को चुना है. पिछले साल सरकार ने जम्मू और कश्मीर में एक-एक मेडिसिटी को मंजूरी दी थी. मेडिसिटी का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना और आपातकालीन स्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए सरकार की क्षमता में वृद्धि करना है.
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