Jammu Kashmir News: लोकसभा सांसद और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. उन्होंने बुधवार को जम्मू में एक कार्यक्रम में कहा कि हमसे वादा किया गया था कि डिलिमिटेशन हो जाएगा उसके बाद चुनाव होगा. 6 मार्च तक का समय दिया गया था और कहा गया था कि ये तारीख आगे नहीं बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि आज तारीख को बढ़ा दिया गया है. ये कहते एक बात है और करते दूसरी बात है.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यहां के लोग बहुत भुगत चुके हैं. बहुत तानाशाही हो गई है, बहुत अफसरशाही हो गई है, बहुत उपराज्यपाल की हुकूमत हो गई है. अब लोगों की हुकूमत आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों की ही हुकूमत से लोगों के मसले हल हो सकते हैं, इस तानाशाही से नहीं.
"अपने वादे से भटकी सरकार"
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार परिसीमन आयोग के लिए एक और विस्तार पर विचार कर रही थी, जिससे वह आयोग को 6 मार्च, 2022 से आगे कोई विस्तार नहीं दिए जाने के अपने वादे से भटक गई है. अब्दुल्ला ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), ओबीसी सेल के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "आयोग के सदस्य होने के नाते, हमें न तो आमंत्रित किया गया और न ही कोई प्रारंभिक रिपोर्ट दिखाई गई."
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "जम्मू और कश्मीर के लोग अब और इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि लोकप्रिय सरकार का कोई विकल्प नहीं है. सत्तावादी और नौकरशाही शासन के कुशासन के कारण लोगों ने अपना धैर्य खो दिया है." उन्होंने कहा कि चुनावों का कोई विकल्प नहीं हो सकता है और जिस तरह से सरकार परिसीमन रिपोर्ट में देरी कर रही है, ऐसा लगता है कि निकट भविष्य में चुनाव कराने का उनका कोई इरादा नहीं है.