Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने लद्दाख प्रशासन पर बड़ा हमला किया है. उन्होंने दावा किया कि उन्हें लद्दाख नहीं आने की सलाह दी गई थी. आरोप भी लगाया कि द्रास प्रशासन ने डाक बंगले में उन्हें लोगों से मिलने नहीं दिया. साथ ही माइक पर भी बोलने नहीं दिया गया.


पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला सोमवार से (31 अक्टूबर) से दो दिन के कारगिल और द्रास के दौरे पर पहुंचे हैं. लद्दाख में 31 अक्टूबर को यूटी फाउंडेशन डे मनाया जाता है. इसी का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने कहा कि इजाजत नहीं दी गई थी. प्रशासन को आशंका थी कि उनके भाषण से कानून व्यवस्था ना बिगड़ जाए. बता दें कि साल 2019 में आज के दिन ही यानी 31 अक्टूबर से लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश है. केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त कर दिया था. 


पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा? 


पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी और लद्दाख प्रशासन पर आरोप लगते हुए कहा कि यह सब कुछ 5 अगस्त अगस्त 2019 के गलत फैसले को छुपाने के लिए किया जा रहा है. इसी दिन जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग किया गया था.  


उमर अब्दुल्ला ने कहा, "अगर यह फैसला लोगों का है और आप दिल से यही चाहते थे तो मुझे यहां आने से क्यों रोका गया." सरकार चीन को लद्दाख में आने से तो रोक नहीं पा रही लेकिन हमें यहां आने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बिना नाम लिए बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि नक्शे में एक खींची लकीर से कश्मीर और लद्दाख के लोगों को अलग नहीं किया जा सकता.


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