कश्मीर घाटी में फर्जी NGO का भंडाफोड़, फ्री राशन बांटने के नाम पर हजारों लोगों से ऐंठे पैसे
Jammu Kashmir Fraud: कश्मीर घाटी में इस फर्जी एनजीओ ने 2000 दुकानदारों को जोड़ा था. पुलिस ने इस मामले में छानबीन करने के लिए दो टीमों को दिल्ली और चेन्नई भेजा है.
Jammu Kashmir News: कश्मीर घाटी के दूर दराज के कई गांव में एक फर्जी एनजीओ ने गरीबों को फ्री राशन बांटने के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है. यह आरोप उन दुकानदारों ने लगाया है जिन्हें इन गरीब लोगों को फ्री राशन बांटने का काम सौंपा गया था. बिलीव डेलपमेंट ट्रस्ट नाम से रजिस्टर्ड इस एनजीओ पर हजारों परिवारों और दुकानदारों से पैसे वसूली करने का भी आरोप है.
इस मामले में बांडीपोर पुलिस ने नारायण नाम के एक शख्स को बिहार से गिरफ्तार किया है. उसके अकाउंट में फर्जीवाड़े का पैसा जमा होकर आगे जा रहा था. इसके अलावा दो और आरोपी इश्फाक और ओवैस भी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं, जो इस फर्जीवाड़े में लोकल मैनेजर थे. इस मामले का मास्टर माइंड प्रवीण कुमार अभी भी फरार है. उसकी तालाशी के लिए पुलिस ने दो टीमें चेन्नई और दिल्ली भेजी हैं.
दुकानदारों को लगाया करोड़ों का चूना
कश्मीर घाटी में इस एनजीओ पर एक साल पहले ही फर्जीवाड़े का आरोप लगा था. इस फर्जवाड़े में हजारों गरीब परिवार, दुकानदार और दवा-विक्रेताओं को करोड़ों का चूना लगाया गया. मामला तब सामने आया जब इस फर्जी सरकारी प्रोजेक्ट को चलाने वाले एनजीओ के लोग फरार हो गए और उनके दफ्तरों पर ताले लग गए. जब स्थानीय दुकानदारों ने उस एनजीओ के स्थानीय कर्मचारियों पर पैसे देने का दबाव बनाया तो उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर दिए.
मास्टरमाइंड अभी भी फरार
8 अप्रैल 2019 को आर अभिजीत नाम शख्स की अगुआई में इस एनजीओ का गठन किया गया और इसमें चार मेंबर भी बनाए गए. इस ट्रस्ट का सत्यापन करने वाले दो व्यक्ति में से एक शख्स का नाम प्रवीण कुमार है, जो कश्मीर में हुए फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है.
दुकानदारों के प्रतिनिधि मुदासिर नाइक ने बताया, "हमें फर्जीवाड़े का पता तब चला जब प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने अपने आप को कर्मचारी बताया और पैसे देने से इंकार किया. उस समय तक हमें ऐसा लगता था कि हम किसी सरकारी स्कीम के तहत गरीब लोगों को राशन बांट रहे हैं, जिसका पैसा हमें एनजीओ देती है."
क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज
इस स्कीम के जरिए एनजीओ ने 2000 दुकानदारों को जोड़ा था. पीड़ित दुकानदारों की मानें तो कश्मीर घाटी के दस जिलों में करीब 9 लाख आम लोगों और दुकानदारों को इस फर्जीवाड़े का शिकार बनाया गया. दुकानदारों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के क्राइम ब्रांच में इस मामले की शिकायत की जिसके बाद पुलिस एक्शन में आई.
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