Jammu Kashmir Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद हुए बड़े आतंकी हमले में कुल सात लोगों की मौत हो चुकी है. इस वारदात की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर के एक नए बने आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी कि टीआरएफ ने ली है, जो पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे लोगों को निशाना बना चुका है.


तो आखिर ये टीआरएफ है क्या. क्या ये जम्मू-कश्मीर में बना कोई आतंकी संगठन है या फिर इसके पीछे हैं पाकिस्तान के वही पुराने आतंकी संगठन जिन्होंने नाम बदलकर कश्मीर में नए सिरे से दहशतगर्दी शुरू की है और आखिर क्या है वो टनल जिसपर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया है.


दो साल में हुआ 500 से ज्यादा आतंकियों का सफाया


जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के खात्मे के साथ ही आतंकियों के सफाए के लिए सुरक्षा बलों ने एक ऑपरेशन चलाया. और इस ऑपरेशन को नाम दिया गया ऑपरेशन क्लीन. इस दौरान चाहे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी हों या फिर लश्कर-ए-तैयबा के या फिर हिजबुल मुजाहिदीन के, सबका खात्मा किया गया. ऑपरेशन क्लीन चलाकर दो साल के अंदर-अंदर 500 से भी ज्यादा आतंकी मारे गए. और एक तरह से घाटी में शांति आ गई.


और इसके साथ ही पाकिस्तान पर दबाव बढ़ने लगा, क्योंकि मारे गए आतंकियों का पाकिस्तान के साथ सीधा संबंध था. और इंटरनेशनल फोरम पर भारत बार-बार ये बात उठाता रहता था, जिसकी वजह से पाकिस्तान पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी कि एफएटीएफ में ब्लैक लिस्ट होने का खतरा था.


पाकिस्तान ने बदली अपनी रणनीति


तो पाकिस्तान ने अपनी स्ट्रैटजी बदली. उसने सबसे पहले खुद को सुरक्षित किया. और इसके लिए उसने पुराने आतंकी संगठनों को नाम बदलने को कहा. ऐसे में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने नाम बदलकर जो नया आतंकी संगठन बनाया उसे नाम दिया द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी कि टीआरएफ.


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी मार्च 2024 में राज्यसभा में बताया था कि टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा है, जिसका गठन साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद किया गया था. माना जाता है कि लश्कर-ए-तैयबा के साजिद जट, सज्जाद गुल और सलीम रहमानी इस नए बने आतंकी संगठन को पाकिस्तान से कमांड करते हैं. इस नए बने आतंकी संगठन के निशाने पर सुरक्षा बल के जवान नहीं बल्कि वो आम नागरिक होते हैं, जो या तो कश्मीरी पंडित होते हैं या फिर भारत के किसी दूसरे हिस्से से आकर जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे होते हैं.


पहली बार डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को बनाया गया निशाना


बाकी तो जिस सुरंग को निशाना बनाकर आतंकियों ने एक डॉक्टर समेत कुल सात लोगों की हत्या की है, उस सुरंग का नाम है जेड मॉर्फ टनल. ये टनल 6.4 किमी लंबी है, जो कश्मीर के गांदरबल को सोनमर्ग से जोड़ती है. इस टनल के बन जाने से हर मौसम में सोनमर्ग पहुंचा जा सकता है जो कश्मीर के सबसे बड़े टूरिस्ट स्पॉट में से एक है.


इसके अलावा ये टनल जोजिला टनल का ही एक हिस्सा है, जो श्रीनगर को लद्दाख से जोड़ती है. ऐसे में इस टनल का अपना सामरिक महत्व भी है, जिसपर आतंकियों ने हमला किया है. और ये पहली बार है, जब आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के किसी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को निशाना बनाया है. बाकी तो इस आतंकी हमले की जांच में एनआईए जुटी हुई है. 


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