Ganderbal terrorist attack: जम्मू कश्मीर के गांदरबल में हुए बड़े आंतकी हमले में एक डॉक्टर समेत सात मजदूरों की मौत हो गई. ये हमले तब हुए हैं, जब लगभग 10 साल के बाद केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में विधानसभा चुनाव हुए और करीब छह साल बाद राज्य सरकार अस्तित्व में आई. हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन दि रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है, जो कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ही शाखा है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हमलावरों ने रविवार (20 अक्टूबर, 2024) की शाम को मजदूरों के एक कैंप पर अंधाधुंध गोलीबारी की. इस कैंप में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर गगनगीर में जेड-मोड़ सुरंग के निर्माण में लगी एक कंपनी के कामगार ठहरे थे. अटैक को टारगेट किलिंग बताया जा रहा है.
हमले का क्या था मोड्स ऑपरेंडी?
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, आतंकियों ने श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग प्रोजेक्ट में लगे मजदूरों के कैंप को निशाना बनाया और उनपर ओपन फायर किया. जिन लोगों की हमले में मौत हुई है, वे अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं और उनका ओहदा भी अलग-अलग है.
मरने वालों के नाम और ओहदा
- फहिमन नसीर- सेफ्टी मैनेजर (बिहार)
- अनील शुक्ला- मैकेनिकल मैनेजर (मध्य प्रदेश)
- मोहम्मद हनीफ -ताहीर एंड सन्स कंपनी (बिहार)
- डॉ शहनवाज- कश्मीर
- कलीम- ताहीर एंड सन्स कंपनी (बिहार)
- शशि अवरोल -डिजाइनर (जम्मू)
- गुरमीत सिंह- रिगर
आतंकी हमले की 5 बड़ी बातेंः एक नजर में
गांदरबल हमला जम्मू कश्मीर की नई सरकार बनने के बाद पहला बड़ा और सबसे घातक आतंकी हमला है. अटैक में कम से कम तीन राज्यों के नागरिकों की मौत हुई. हमले के बाद इलाके की नाकेबंदी कर दी गई है. ये हमला जिस इलाके में हुआ, वह गांदरबल विधान सभा सीट उमर अब्दुल्ला की पुश्तैनी विधानसभा सीट रही है. इस सीट से उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला और उसके बाद उनके पिता फारूक अब्दुल्ला विधायक रह चुके हैं.
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