Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के खिलाफ जम्मू कश्मीर की कुछ राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसका विरोध किया. विरोध करने वाले में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर जहूर अहमद भी थे. अब सरकार ने उनको निलंबित भी कर दिया है.


जम्मू-कश्मीर सरकार ने जहूर अहमद को सरकार के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में पेश होने और 5 अगस्त, 2019 के फैसलों के खिलाफ दलील देने की वजह से निलंबन का आदेश पारित कर दिया है.


आचरण की जांच के दिए गये आदेश
राजनीति विज्ञान के वरिष्ठ व्याख्याता जहूर अहमद को जम्मू में निदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है और उनके आचरण की जांच के भी आदेश दिए गए हैं. स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार के आदेश के मुताबिक, 'राजनीति विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर को जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारियों के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.'  


आदेश में यह भी कहा गया है कि निलंबन की अवधि के दौरान दोषी अधिकारी निदेशक स्कूल शिक्षा जम्मू के कार्यालय की तरफ संलग्न रहेगा.


'कार्रवाई पूरी लेकिन आचरण की भी होगी जांच'
सीनियर प्रोफेसर को निलंबित करने के बाद सरकार यहीं नहीं रुकी. उनके आचरण की जांच के लिए जम्मू कश्मीर के संयुक्त निदेशक सुबह मेहता को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है. मेहता दोषी अधिकारी के  आचरण की जांच करेंगे. इन सब कार्रवाईयों के दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट बीते 10 दिनों से आर्टिकल 370 पर सुनवाई कर रहा है.


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ हर दिन मामले को सुनते हुए अपने रिमार्क दे रही है.  इस दौरान एक दिलचस्प वाक्या भी हुआ जब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि धारा 370 को निरस्त करना आवश्यक था और अपनाई गई प्रक्रिया में कोई खामियां नहीं हैं, तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अंत साधन को उचित ठहराता हो. साधन को साध्य के अनुरूप होना चाहिए.’


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