'...नहीं तो रद्द कर देंगे जमीन का आवंटन', जम्मू-कश्मीर में 586 इंडस्ट्रियल यूनिट लगाने में विफल रही कंपनियों को चेतावनी
जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद अर्थव्यवस्था सुधारने की गरज से सरकार ने कुछ औद्योगिक इकाइयों को जमीन आवंटित की थी. लेकिन कुछ प्रगति नहीं होने पर अब सरकार ने उन इकाइयों को नोटिस जारी किया है.
Jammu Kashmir News: जम्मू और कश्मीर सरकार ने गुरुवार (17 नवंबर) को 586 आवंटियों का भूमि आवंटन रद्द करने का लिए अंतिम नोटिस जारी कर दिया है. घाटी में आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद प्रदेश में बहुचर्चित 'नई औद्योगिक विकास योजना' के तहत राज्य में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने में विफल रहे थे. जनवरी 2021 में जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने नए निवेश को प्रोत्साहित करने और औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर तक ले जाने के लिए 28,400 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ एक नई औद्योगिक विकास योजना (आईडीएस) की घोषणा की थी.
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इन इकाइयों को अंतिम नोटिस जारी किए गये हैं. ये इकाइयां जमीन का प्रीमियम जमा करके लीज डीड का मामला नहीं सुलझा पाईं थी. इसलिए इनको अंतिम नोटिस जारी किया गया है ताकि कतार में लगी अन्य औद्योगिक इकाइयों को नया अवसर मिल सके.
आईडीएस का क्या उद्देश्य था?
अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद भारत सरकार द्वारा स्वीकृत नया आईडीएस न केवल क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के युग की शुरुआत करने के लिए था बल्कि विकास को ब्लॉक स्तर और जम्मू के दूर-दराज के क्षेत्रों तक ले जाने के लिए भी था. इस आशय से जुड़ा आखिरी नोटिस जम्मू-कश्मीर राज्य औद्योगिक विकास निगम (सिडको) की प्रबंध निदेशक स्मिता सेठी ने गुरुवार को जारी किया.
सरकार ने इन औद्योगिक इकाइयों को कितनी जमीन दी थी?
प्रदेश में धारा 370 खत्म होने के बाद सरकार ने कुछ औद्योगिक इकाइयों को कश्मीर घाटी में 462 और जम्मू क्षेत्र में 124 डीड आवंटित की थी. इस पूरी प्रक्रिया में इन सभी इकाइयों को 500 से 600 एकड़ जमीन दी गई थी. इनमें से 423 इकाइयों को जम्मू-कश्मीर लघु उद्योग विकास निगम लिमिटेड (एसआईसीओपी) और 163 को सिडको ने भूमि का आवंटन किया गया था.
किन आवंटियों ने नहीं दी है प्रतिक्रिया?
रिकॉर्ड के अनुसार 586 आवंटियों (औद्योगिक इकाइयों के) ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और बार-बार नोटिस दिए जाने के बावजूद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. इस नोटिस में आगे कहा गया है कि 4 नवंबर, 2022 को उद्योग और वाणिज्य विभाग ने इन सभी आवंटियों को आखिरी नोटिस दिया है. इस नोटिस में उनको सभी औपचारिक भुगतान जमा कर फॉर्मेल्टी पूरी करने का निर्देश दिया है.
विभाग के पास क्या होगा आखिरी विकल्प?
प्रबंध निदेशक स्मिता सेठी के मुताबिक ऐसा न करने पर यह मान लिया जाएगा कि उनके पास अपने बचाव में कहने के लिए कुछ नहीं है और अगर इस अवधि के दौरान कोई ठोस जवाब नहीं मिलता है तो आवंटन आदेश को रद्द किया जाएगा या फिर वापस ले लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए 4500 आवेदन कतार में हैं. ये इकाइयां राज्य में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश ला रही हैं और 7,000 का रोजगार बाजार तैयार कर रही हैं.
आवंटन आदेश की नियम और शर्तों के अनुसार आवंटियों को उक्त आवंटन आदेश जारी होने की तिथि से 60 दिनों की समय सीमा के भीतर भूमि प्रीमियम जमा करना, लीज डीड निष्पादित करना और अन्य औपचारिकताएं पूरी करना आवश्यक था. हालांकि कुछ यूनिट धारक बकाया राशि जमा करने और निर्धारित समय अवधि के भीतर आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने में विफल रहे थे.
कितने करोड़ का मिला था प्रस्ताव?
जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार को 31,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे और 28,400 करोड़ रुपये की एक नई केंद्रीय क्षेत्र की योजना भी अधिसूचित की गई थी. जो 4.5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करने की संभावना है. राज्यसभा को पिछले साल दिसंबर में सूचित किया गया था.
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