विशेष: हमसफ़र बनाकर यूं अलविदा क्यूं कह गए मेजर अनुज सूद, दो साल पहले रचाई थी शादी
मेजर अनुज सूद ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स के अधिकारी थे. अनुज सूद का चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भी हो गया लेकिन उन्होंने आईआईटी की जगह एनडीए को चुना.
शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशां होगा
जम्मू और कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में कर्नल, मेजर और 3 जवान शहीद हो गए. इनकी शहादत से पूरे देश की आंखें नम हैं. भारत मां के जिन पांच बेटों ने अपने प्राण देश की रक्षा के लिए न्योछावर किए उनमें एक नाम मेजर अनुज सूद का भी है.
मेजर अनुज सूद जैसे जांबाज सिपाहियों की शहादत के बाद भी उनके दिल से वतन की उल्फत नहीं जाती. वह तो जब मिट्टी का कर्ज चुका कर मिट्टी में मिलते हैं तो भी उस मिट्टी से खुशबू-ए-वतन आती है.
आज मेजर अनुज सूद का भी चंडीगढ़ में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. मेजर सूद की पार्थिव देह को उनके पंचकूला स्थित घर से यहां मनी माजरा के श्मशान घाट लाने से पहले माहौल काफी गमगीन हो गया था. मेजर सूद की पार्थिव देह को सेना की गाड़ी में रखने से ठीक पहले उनकी पत्नी आकृति उन्हें अलविदा कहने के लिए ताबूत से लिपट गईं.
मेजर अनुज सूद बचपन से ही बेहद बेहतरीन छात्र रहे. उन्होंने पंजाब पब्लिक स्कूल, नाभा से पढ़ाई की. पीपीएस में हर क्लास में मेजर अनुज सूद ने खुद को अव्वल साबित किया. होनहार अनुज सूद का चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में हो गया था, लेकिन उन्होंने आईआईटी की जगह एनडीए को चुना.यहीं से उनकी शौर्य गाथा शुरू होती है.
दो साल पहले हुई थी शादी
मेजर अनुज सूद की शादी 2 साल पहले हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली आकृति से हुई थी. अभी उनका कोई बच्चा नहीं है. मेजर सूद की पत्नी पुणे में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं.
तीन मई को लौटना था घर
मेजर अनुज सूद को तीन मई को घर लौटना था लेकिन सैनिक के लिए परिवार से पहले देश आता है. जब वतन ने मेजर अनुज को पुकारा तो वह परिवार को भूल देश सेवा में लग गए.
पिता बोले- मेरे बेटे ने कर्तव्य निभाया
मेजर अनुज सूद के पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद बेटे को याद करते हुए भावुक हैं, लेकिन कहते हैं कि उनके बेटे ने अपना फर्ज निभाया है. उन्होंने एक चैनल से बात करते हुए कहा,''उसे 22 मार्च को आना था मगर लॉकडाउन की वजह से छुट्टी कैंसिल हो गई. 3 मई को उसकी फ्रेश लीव लगी थी, उसे घर आना था. वीर सैनिक जो शहीद होते हैं. खून बहाने से बड़ा योगदान तो कोई नहीं दे सकता."
उन्होंने कहा, "ये तो उनके बेटे का कर्तव्य था, जो उन्होंने निभाया. उनका काम ही था कि वो लोगों की जान बचाएं."
छोटी बहन भी फौज में
मेजर अनुज सूद के परिवार के रगों में है देश के लिए जीने और मरने का जज्बा है. उनकी एक छोटी बहन भी सेना में है. वहीं मेजर अनुज की माता सुमन यमुनानगर के एक सरकारी स्कूल में बतौर प्रिसिपल कार्यरत हैं.
कर्नल और मेजर की दोस्ती
हंदवाड़ा एनकाउंटर में शहीद होने वालों में कर्नल आशुतोष भी हैं. इत्तेफाक़ की बात ये है कि मेजर अनुज और कर्नल आशुतोष काफी अच्छे दोस्त थे. शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा और मेजर अनुज सूद दोनों एक दूसरे को भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) के दिनों से ही जानते थे. इनकी शहादत के बाद सेना की ओर से ऐसा ही एक ट्वीट किया गया है. इसमें शहीद कर्नल और शहीद मेजर की दोस्ती के बारे में बताया गया है.
सेना की ओर से किए गए ट्वीट किया गया,'' 2011 में बटालियन की जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रिप जानी थी. कर्नल आशुतोष जो उन दिनों मेजर थे और वे इसके इंचार्ज थे. उस समय से ही दोनों के बीच बेहतर बॉन्ड था. सौभाग्य से मेजर अनुज भी उसी बटालियन में कमीशंड हुए जिससे कर्नल आशुतोष संबंध रखते थे. दोनों बेहतरीन छात्र और बेहतरीन अफसर थे. अब वे हमारे साथ नहीं है. उन्होंने सेना के साथ रहने के उच्च परंपरा के साथ इस दुनिया को छोड़ दिया है.''