जम्मू: पिछले कई सालों से विभागीय पदोन्नति (प्रमोशन) की मांग कर रहे जम्मू कश्मीर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हालांकि इन कर्मचारियों का दावा है कि वह अपनी इस हड़ताल का असर प्रदेश में चल रहे टीकाकरण अभियान पर नहीं पड़ने देंगे.
पिछले कई सालों से विभागीय पदोन्नति की मांग कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने एक बार फिर से आंदोलन का रुख अपना लिया है. इसकी शुरूआत उन्होंने मंगलवार से स्वास्थ्य निदेशक जम्मू सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करके की. इस हड़ताल का फैसला जम्मू-कश्मीर मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन के प्रधान सुशील सूदन की अध्यक्षता में हुई बैठक में किया गया.
बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया था कि 11 मई की शाम को साढ़े चार बजे से लेकर साढ़े पांच बजे तक स्वास्थ्य निदेशक जम्मू के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा. सुशील सूदन ने बताया कि मौजूदा कोरोना काल में उनके कर्मचारी दिन रात एक कर के टीकाकरण अभियान को अंजाम दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस हड़ताल के दौरान आम जनजीवन पर असर ना पड़े तो इसलिए इस हड़ताल का समय भी छुट्टी के बाद रखा गया.
उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगें पिछले कई साल से नहीं सुन रही हैं और जो विभागीय पदोन्नति का मामला है, उससे करीब एक हजार स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश है कि हर छह महीने बाद विभागीय पदोन्नति को मंजूरी दी जाए, लेकिन पिछले कई सालों से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को इससे महरूम रखा गया है.
सुशील सूदन ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अपनी पदोन्नति समय पर ले लेते हैं, लेकिन जब कर्मचारियों की बात आती है तो उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं. उन्होंने कहा कि मौजूदा करोना काल में उनके कई कर्मचारियों ने जान गवाई है, लेकिन उन्हें अब तक उनके इंश्योरेंस का पैसा नहीं मिला है.
सूदन ने कहा कि सरकार हालांकि उनकी मांगों का निपटारा नहीं कर रही और उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. लेकिन, वह मौजूदा समय में हड़ताल पर नहीं जाएंगे क्योंकि उनके हड़ताल पर जाने से कोरोना टीकाकरण की मुहिम पर असर पड़ेगा और वह यह नहीं चाहते कि उनके किसी कदम का असर जनता पर पड़े.