श्रीनगर: अपनी बेबाकी और लोगों की मदद करने के स्वभाव की वजह से इन दिनों कश्मीर में एक महिला अधिकारी काफी सुर्खियों में हैं. यह कोई पहला मौका नहीं है जब वह अपनी कार्यशैली की वजह से लोगों के बीच चर्चा की वजह बनी हों. इससे पहले भी वह लोगों की मदद करने की वजह से सुर्खियों में रही हैं. सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाली डॉक्टर सैयद सहरीश असगर साल 2013 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. उनकी नई जिम्मेदारी कश्मीर घाटी में अपने प्रियजनों से हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोगों की उनसे फोन पर बात कराने या उन्हें डॉक्टरों से मिलवाने की है.
सहरीश की नियुक्ति जम्मू-कश्मीर प्रशासन में सूचना निदेशक के पद पर है. वे एक साल के बेटे की मां हैं. उनके पास एमबीबीएस की डिग्री है और वह जम्मू में प्रैक्टिस कर चुकी हैं लेकिन अपनी प्रैक्टिस छोड़कर उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी. अपने इस पूरे सफर के बारे में उन्होंने एबीपी न्यूज़ से बातचीत की.
सहरीश ने कहा, ''हमेशा से मैं ये चाहती थी कि मैं अपने लोगों के विकास के लिए काम कर सकूं. खासकर के यहां की लड़कियों और बच्चियों के लिए वे काम करना चाहती थी. ऐसा तभी संभव हो पाता जब वो प्रशासन में हों. इसलिए हमेशा ये सपना रहा कि आईएएस बनूं. इससे पहले जिन भी पदों पर रही, हमेशा लोगों के लिए काम करने की कोशिश की.''
बातचीत में उन्होंने आगे कहा, ''इससे पहले मैं डिप्टी कमिश्नर बडगाम रही हूं. पूरा एक साल वहां पर सेवा दी. मैं जब वहां के स्कूलों में गई तो देखा कि वहां की बच्चियां अंडर कॉन्फिडेट थीं. ड्रॉप आउट रेट ज्यादा था. स्पोर्सट्स एक्टिविटी में वे कम भाग लेती थीं...एक जगह ऐसा था जहां 20 फीसदी ड्रॉप आउट रेट हो गया था. जब इसका रीजन पूछा तो पता चला कि टॉयलेट वहां सही नहीं थे. इसके लिए हमने फंड्स इकट्ठा किए. हमने विभिन्न मैराथन करवाया. पहली बार ऐसा हुआ कि 600-700 लड़कियों का मैराथन रेस हुआ...बडगाम में स्के मार्शल आर्ट्स में बच्चियों को हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया. वे नेशनल और इंटरनेशल लेवल तक गईं.''
अभी के मौजूदा हालात और अपनी जिम्मेदारी के बारे में बात करते हुए सहरीश ने कहा कि हमारा काम सरकार और लोगों के बीच संपर्क कायम करना है. इसे कायम रखने के लिए कम्युनिकेशन सेंटर्स रखवाए हैं. अभी कुछ पाबंदियां हैं लेकिन उन्हीं में अपने रिसोर्सेज से लोगों को लाभ पहुंचाए ये जरूरी है. 300 से ज्यादा बूथ बनाए जा रहे हैं. कुछ बूथ काफी हिट रहे. जहां पर जरूरी सूचना पहुंचानी हो उसे पहुंचा सकें, ये हमारी जिम्मेदारी है.
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