नई दिल्ली: भारत की खुफिया एजेंसी ने एक बड़ा खुलासा किया है. पाकिस्तान एक बार फिर पुलवामा हमले जैसी साजिश रच रहा है. इस साजिश के तहत वो हाईवे पर ढाबा और पंचर जैसी दुकान खोलने की बाबत अपने लोगों से जानकारी मांग रहा है और यह भी पूछ रहा है कि इटंरनेट कनेक्शन कब तक पूरी तरह से बहाल हो जाएंगे. पाक की इस नापाक साजिश का खुलासा खुद जैश के लॉन्चिंग कंमाडर की बातचीत से हुआ है.


पिछले साल हुआ था पुलवामा अटैक


पिछले साल 14 फरवरी को हुआ पुलवामा मे आतंकी हमला हुआ था, जिसमें चालीस से अधिक सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए थे. पुलवामा में हुए बड़े आंतकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी और उसके असली साजिशकर्ता अभी भी पाकिस्तान मे मौजूद हैं. इन्हीं साजिशकर्ताओं ने पुलवामा जैसी आतंकी हमले की साजिश एक बार फिर से रचनी शुरू कर दी है और उनके निशाने पर सुरक्षाबलों के कैंप हैं.


जैश ए मोहम्मद के लॉन्चिंग कमांडर ने गुर्गों से किया संपर्क


पाकिस्तान की इस साजिश का खुफिया एजेंसियों को तब पता चला जब पाकिस्तान में बैठे जैश के एक लॉन्चिंग कंमाडर ने भारत में बैठे अपने गुर्गो से संबंध स्थापित किया और उनसे वो जानकारी मांगी जिसने खुफिया एजेंसियों के कान खडे़ कर दिए. इसके बाद पंचर वाली साजिश का खुलासा हुआ.


बातचीत से हुआ शक


खुफिया एजेंसियों ने जब पाकिस्तान में बैठे लॉन्चिग कमांडर अब्दुल मन्नान उर्फ डॉक्टर की बातचीत सुनी. उस बातचीत से साफ जाहिर होता था कि आतंकवादियों की निगाहें कहीं और निशाना कहीं और पर है. इस बातचीत में शामिल था कि "कठुआ सांबा रोड पर पंक्चर की दुकान..ढाबा या चाय की दुकान खुल सकती है. ऐसी दुकान जिसपर युद्ध करने लायक सामान भी एकत्र किया जा सके. ऐसी दुकान जिसपर बैठे आंतकी हाइवे पर आने जाने वाले सुरक्षाबलों की बाबत सूचना दे सकें. एनएच 44 और जम्मू कश्मीर हाईवे मौसम के चलते खुला है या बंद इसकी जानकारी दे सकें."


मन्नान ने बातचीत में ये भी पूछा कि इंटरनेट कनेक्शन कब तक पूरी तरह से बहाल हो जाएंगे. डोडा के आसपास मौजूद हिजबुल मुजाहिदीन के आंतकियों की जानकारी भी मांगी. सेना के महत्वपूर्ण मिलिट्री स्टेशन के बारे में जानकारी मांगी.


पुलवामा हमले से पहले भी मिले थे ऐसे ही इनपुट


खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी ने इस बारे में कहा, "इस पूरी जानकारी मे पुलवामा जैसे आंतकी हमले की साजिश की बू आती है, क्योंकि पुलवामा हमले की जांच के दौरान भी इसी तरह से सुरक्षा बल के कॉनवॉय की सटीक जानकारी आतंकियों के पास थी, और उसी के तहत उन्होंने रास्ते मे विस्फोटक इकट्ठा कर कार्रवाई को अंजाम दिया था."


सुरक्षा से जुडे़ एक आला अधिकारी ने बताया, "दरअसल एनएच 44 कठुआ सांबा से हो कर गुजरता है. यह रोड कई जगहों पर एलओसी से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर है. साथ ही इस इलाके में कई दरियाई नाले भी हैं, और ऐसे गहन रास्ते भी जिनके जरिए आंतकी भारतीय सीमा मे प्रवेश कर सकते हैं. साथ ही हाईवे के किनारे पंचर की दुकान या ढाबा मिलना एक आम बात है. इसी बात का फायदा आंतकी संगठन उठाने की सोच रहे हैं.''


किसी भी आंतकी हमले के लिए लोकल सपोर्ट, विस्फोटक और पैसा जरूरी होता है. लिहाजा पैसा आईएसआई दे रही है और गहन रास्तों के जरिए विस्फोटक और आंतकी आ सकते हैं. साथ ही अगर स्थानीय सपोर्ट मिल जाए तो उन्हें अपना काम करने मे आसानी रहती है. इस खुलासे के बाद खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने इस साजिश को नाकाम करने के लिए अपनी कमर कस ली है.


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