Ghulam Qadir On Elections: प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने घोषणा की है कि अगर भारत सरकार ने प्रतिबंध हटा दिया तो संगठन केंद्र शासित प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेगा. केंद्र सरकार ने आतंकी फंडिंग और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप में जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.


बुधवार (15 मई) को जमात पार्टी पैनल के प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर हमेशा लोकतंत्र के विचार में विश्वास करता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि संगठन ने कभी भी लोगों को मतदान से दूर रहने के लिए कोई आह्वान नहीं किया. उन्होंने कहा, ''हमने कभी भी चुनाव बहिष्कार का आह्वान नहीं किया और न ही बंद का कोई आह्वान किया.''


चुनावी लड़ाई से क्यों दूर रहा जमात-ए-इस्लामी?


यह पूछे जाने पर कि प्रतिबंधित होने से पहले संगठन को चुनावी लड़ाई से दूर रहने के लिए किस बात ने प्रेरित किया, कादिर ने कहा, "हमारे लोग अलग-अलग समय पर अलग-अलग परिस्थितियों के कारण वोट डालने से डर रहे थे." कादिर ने यह भी कहा कि प्रतिबंधित संगठन के सदस्य प्रतिबंध हटाने के लिए सरकार के साथ लगातार परामर्श कर रहे हैं क्योंकि संगठन हमेशा से चाहता है कि क्षेत्र में लोकतंत्र पनपे.


‘समाज में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं’


उन्होंने कहा, “जमात अपने दम पर खड़ी है, हम समाज में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं. हम वैसे ही चुनाव लड़ेंगे जैसे 1987 से पहले लड़ते थे.'' कादिर ने कहा कि जेईआई एक प्रमुख मंच के रूप में सामाजिक-धार्मिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही नशीली दवाओं के दुरुपयोग और बढ़ती अनैतिकता जैसे मुद्दों को भी संबोधित करेगा.


उन्होंने आगे कहा कि केंद्र के हम पर से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद हम अपने स्वयं के उम्मीदवारों को नामांकित करने का प्रयास करेंगे. हालांकि अन्य चिंताएं भी हैं, चुनाव में हमारी भागीदारी के लिए प्राथमिक शर्त प्रतिबंध को रद्द करना है.


भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 की धारा 3 (1) के तहत 'जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर' को 5 साल की अतिरिक्त अवधि के लिए 'गैरकानूनी संघ' घोषित कर दिया है.


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