Jammu: 24 साल बाद अपनी जमीन पर खेती करने पहुंचे जम्मू के चिल्यारी गांव के किसान, कई हुए भावुक
Jammu Kashmir News: चिल्यारी गांव जम्मू के सांबा जिले में है. इस गांव के कई किसानों के खेत सीमा पर तारबंदी और जीरो लाइन के बीच में हैं. गोलीबारी के डर से 24 साल से किसान यहां खेती नहीं कर रहे थे.
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Jammu Chilyari Village Farmers: जम्मू में भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 23 नवंबर को बेहद ही दिलचस्प तस्वीर देखने को मिली. दरअसल, यहां फरवरी 2022 से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बंद हुई फायरिंग के बाद जम्मू के सांबा सेक्टर में 24 साल के बाद किसान अपने खेतों में खेती-बाड़ी करने पहुंचे. जम्मू में भारत-पाकिस्तान सीमा पर मौजूद ये खेत सीमा पर हुई तारबंदी और जीरो लाइन के बीच में हैं. गोलीबारी के डर से पिछले 24 साल से किसान खेती बाड़ी करने नहीं पहुंच रहे थे.
दोनों देशों की सीमा पर बसा चिल्यारी गांव जम्मू के सांबा जिले में पड़ता है. यहां के अधिकतर लोग खेती-बाड़ी से अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. बुधवार को चिल्यारी में सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों ने बॉर्डर पर हुई फेंसिंग पर लगे गेट को किसानों के लिए खोला. यह गेट अभी तक सिर्फ बीएसएफ के जवानों के लिए खुलते थे जो पेट्रोलिंग के लिए उस तरफ जाते थे लेकिन बुधवार को 24 साल बाद ऐसा मौका आया जब यह दरवाजे फेंसिंग और जीरो लाइन के बीच में बसे उन खेतों के किसानों के लिए खोले गए जो इन खेतों के मालिक हैं. सीमा पर युद्ध बंदी के बाद बीएसएफ के कहने पर यहां के किसान 24 साल बाद अपने खेतों में खेती-बाड़ी करने पहुंचे थे.
BSF जवानों ने डर दूर किया तो तैयार हुए किसान
सीमा पर जारी गोलीबारी के चलते पिछले 24 साल से यह किसान अपने खेतों में नहीं गए थे. पाकिस्तान की तरफ से लगातार होने वाली फायरिंग के चलते इन किसानों के मन में डर बैठ गया था और इन्होंने यहां जाना छोड़ दिया था. अब सीमा पर गोलीबारी बंद होने के बाद भारत बीएसएफ के जवानों ने इनको खेती के लिए प्रोत्साहित किया और इसकी शुरुआत बुधावर से हो गई. अब ये खेत दोबारा फसल से लहलहाएंगे. वहीं खेत में पहुंचते ही किसानों ने भारत माता की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए. इतने लंबे समय बाद अपने खेतों में आकर किसान भी काफी खुश थे.
1998 में आखिरी बार की गई थी यहां पर खेती
गांव के किसान हरबंस सिंह की मानें तो वह फेंसिंग और जीरो लाइन के बीच अपने खेतों में 1998 में आखिरी बार आए थे. वह कहते हैं कि इस गांव के दर्जनों ऐसे किसान हैं जिनकी जमीन फेंसिंग और जीरो लाइन के बीच में है और अब 24 साल बाद जब इस जमीन पर उन्हें दोबारा खेती-बाड़ी करने का मौका मिला तो यह क्षण बहुत भावुक करने वाला था. इन खेतों में फसल उगाने के लिए कुछ ऐसे युवा किसान भी आए जो 1998 के बाद पैदा हुए और जिनके बाप दादा ने कभी इस जमीन पर खेती बाड़ी की थी.
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