श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में आज दो और बड़े नेताओं को रिहा किया गया. प्रशासन ने पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन और पीडीपी नेता वाहीद पारा को रिहा किया है. वाहीद जम्मू-कश्मीर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी सहयोगी हैं.
अधिकारियों ने बताया कि लोन और पारा की रिहाई के बाद अब कुल 13 नेता एहतियातन हिरासत में एमएलए हॉस्टल में बंद हैं. हॉस्टल को फिलहाल अस्थाई उपकारागार में तब्दील कर दिया गया है. लोन और पारा 180 दिन से भी ज्यादा वक्त तक हिरासत में रहने के बाद रिहा किये गये हैं.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को दो नेताओं दक्षिण कश्मीर में वाची से पीडीपी के पूर्व विधायक एजाज अहमद मीर और व्यापारियों के नेता शकील अहमद कलंदर को रिहा किया था. कलंदर फेडरेशन चेम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज, कश्मीर के अध्यक्ष रह चुके हैं. रविवार से अभी तक आठ नेताओं को एहतियातन हिरासत से रिहा किया गया है.
केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने का एलान किया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था. इसी के मद्देनजर मुख्यधारा के नेताओं, कार्यकर्ताओं और व्यापारियों को हिरासत में लिया गया था.
नेताओं में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती का भी नाम शामिल है. आज ही सरकार ने बताया कि जम्मू कश्मीर में जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत कुल 389 लोगों को फिलहाल हिरासत में रखा गया है.
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधान हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा कानून के तहत 444 लोगों को हिरासत में लेने के आदेश जारी किए गए थे. रेड्डी ने बताया कि वर्तमान में पीएसए के तहत 389 लोग हिरासत में हैं.
राज्यसभा में विपक्ष ने उठाया फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा
नेताओं की हिरासत का मुद्दा विपक्षी दलों ने संसद में भी उठा. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के माजिद मेमन ने राज्यसभा में कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला संसद में श्रीनगर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से पूछा कि उन्हें किस कारण से जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद किया गया, जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने सवाल किया कि अब्दुल्ला को संसद सत्र में भाग लेने और श्रीनगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने क्यों नहीं दिया जा रहा है?
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