जम्मू: कश्मीर घाटी के अनंतनाग में सोमवार को आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए कांग्रेसी सरपंच अजय कुमार पंडिता की हत्या से घाटी में चुने गए प्रतिनिधि सहमे हुए हैं. कश्मीर में पंचायत स्तर के यह चुने हुए नुमाईन्दे सरकार के रैवये से परेशान होकर अब घाटी में काम न करने की धमकी दे रहे हैं.


सोमवार को कश्मीर घाटी के अनंतनाग में आतंकियों के हाथों मारे गए सरपंच अजय कुमार पंडिता की मौत के बाद अब घाटी में अल्पसंख्यक समुदाय के चुने हुए कई दर्जन नुमाईन्दे कश्मीर घाटी में हालातो का हवाला देकर काम न करने की बात कह रहे हैं. कश्मीर घाटी के पुलवामा से सरपंच मनोज पंडिता का दावा है कि 2019 में जब उन्होंने पंचायती चुनावो में हिस्सा लिया था, तब केंद्र सरकार ने ज़मीनी स्तर पर विकास पहुँचाने के दावे किये थे. उन्होंने कहा कि कश्मीर के हर जनप्रतिनिधि पर उस दिन से खतरा था जब से उन्होंने चुनावों में हिस्सा लिया था.


प्रशासन पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अजय पंडिता की हत्या के बाद से अब तक कोई उनके घर नहीं गया है. लेकिन, साथ ही उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि यह चुनाव होने के बाद केंद्र सरकार की प्राथिमिकता बदल गयी और कश्मीर चुने हुए उन जैसे जन प्रतिनिधियों की आवाज़ को अनसुना कर दिया गया.


उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर घाटी में डर और खौफ के साये में सभी चुने हुए प्रतिनिधि काम कर रहे हैं और अजय पंडिता की हत्या के बाद कश्मीर में मौजूदा हालात में उन जैसे पचों-सरपंचों का काम करना मुश्किल है. उन्होंने दावा किया कि आने वाले कुछ दिनों में घाटी में अल्पसंख्यक समाज के सभी चुने हुए प्रतिनिधि बैठक कर अगले कदम का फैसला करेंगे. साथ ही उन्होंने दावा किया कि वो मौजूदा हालात में कश्मीर में काम नहीं कर सकते और अगर वो कश्मीर में काम ही नहीं कर सकते जिसके लिए वो चुने गये है तो यह जनता के साथ धोखा होगा.