नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार जम्मू-कश्मीर के 8 दलों के 14 नेताओं के साथ सीधे संवाद करेंगे. प्रधानमंत्री आवास पर दिन में 3 बजे बुलाई गई बैठक का फिलहाल एजेंडा गुप्त रखा गया है. लेकिन माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के विकास समेत परिसीमन व अन्य मुद्दों पर सरकार स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी.
बैठक में पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, एनएसए अजित डोभाल, पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा, गृहसचिव अजय भल्ला के अलावा कुछ अन्य अधिकारी बैठक में शामिल रह सकते हैं.
इस बैठक के साथ ही सूबे में डीलिमिटेशन की प्रक्रिया की आरंभ माना जाएगा. ये एक तरह से सूबे में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए वाइड कंसल्टेशन का आरंभ है. डीलिमिटेशन की प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है. डीलिमिटेशन के बाद नया वोटर लिस्ट तैयार करने और उसमें करेक्शन के बाद ही जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया आरंभ हो सकता है.
जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने में अभी भी सालभर का समय लग सकता है. माना देश के कानून और भारत सरकार द्वारा तयशुदा मानकों के अंतर्गत ही डीलिमिटेशन होगा. लेकिन सूत्रों के मुताबिक फिलहाल जम्मू कश्मीर को स्टेट हु देने को लेकर किसी तरह की चर्चा का प्रस्ताव नहीं है.
कुल 14 नेताओं को बैठक में बुलाया गया
नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, गुलाम अहमद मीर, ताराचंद, पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती, बीजेपी के निर्मल सिंह, कविन्द्र गुप्ता और रविन्द्र रैना, पीपुल कांफ्रेंस के मुजफ्फर बेग और सज्जाद लोन, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, सीपीआईएम के एमवाई तारीगामी और जेके अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी को बैठक में आमंत्रित किया गया है.