Article 370 Case: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने रविवार (3 सितंबर) को श्रीनगर के राजनीति विज्ञान के सीनियर लेक्चरर जहूर अहमद भट का निलंबन रद्द कर दिया. भट सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 मामले की सुनवाई के दौरान मौजूद रहे थे. जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को लेक्चरर के निलंबन के मामले को देखने के लिए कहा था.
निलंबन के आदेश में ये कहा गया था
स्कूल शिक्षा पर सरकार के प्रमुख सचिव आलोक कुमार की ओर से भट को अपराधी अधिकारी करार देते हुए निलंबित कर दिया गया था. निलंबन के आदेश में कहा गया था कि श्रीनगर के जवाहर नगर स्थित गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में पदस्थ पॉलिटिकल साइंस के सीनियर लेक्चरर जहूर अहमद भट के आचरण की लंबित जांच के दौरान उन्हें जम्मू-कश्मीर सीएसआर, जम्मू-कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम 1971 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.
सीजेआई ने क्या कहा?
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जस्टिस की संविधान पीठ अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए एकत्र हुई थी, जब वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मुद्दा उठाया.
सिब्बल ने पीठ को बताया कि भट्ट को शीर्ष अदालत में पेश होने के एक दिन बाद निलंबित कर दिया गया था. तब सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा था, ''देखिए क्या हुआ है. कोई इस अदालत में पेश हुआ उसे निलंबित कर दिया गया. इस पर गौर करें. उपराज्यपाल से बात करें.''
सुप्रीम कोर्ट में क्यों पेश हुए थे जहूर अहमद भट?
जम्मू-कश्मीर सरकार ने रविवार को निलंबन आदेश रद्द करते हुए भट्ट को उनके मूल पोस्टिंग स्थान पर वापस रिपोर्ट करने के लिए कहा. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, भट के पास कानून की डिग्री भी है. उन्होंने अदालत के समक्ष 2019 के उस कदम के खिलाफ दलील दी थी जिसने जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को हटा दिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.
चीफ जस्टिस ने पूछा था, ''अगर कुछ और है तो यह अलग बात है, लेकिन उनके सामने आने और फिर निलंबित होने का इतना करीबी क्रम क्यों है?" संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस एसके कौल ने दलीलों और निलंबन आदेश के बीच निकटता की ओर इशारा किया, जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल ने स्वीकार किया कि समय निश्चित रूप से उचित नहीं था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ये कहा
रिपोर्ट के मुताबिक, बेंच के एक अन्य जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सरकार की कार्रवाई प्रतिशोध हो सकती है. मेहता ने बताया कि अन्य मुद्दे भी थे जिनके कारण उनका निलंबन हुआ और भट्ट विभिन्न अदालतों में पेश हुए.
सिब्बल ने तर्क दिया कि फिर उन्हें पहले ही निलंबित किया जाना चाहिए था, अब क्यों? उन्होंने कहा कि भट्ट जम्मू-कश्मीर में राजनीति पढ़ाते हैं और 2019 के कदम के बाद से यह उनके लिए मुश्किल हो गया था क्योंकि उनके छात्र लोकतंत्र पर सवाल उठा रहे थे.