(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jammu Kashmir: 'अगर आप घर बैठेंगे तो नहीं मिलेगी सैलरी', कश्मीरी पंडितों को लेफ्टिनेंट गवर्नर की चेतावनी
Kashmiri Pandits: लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा (Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने भी साफ कर दिया कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को जम्मू में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा.
Manoj Sinha on Kashmiri Pandits: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की ओर से निशाना बनाए जाने को लेकर कश्मीरी पंडित प्रशासन से काफी नाराज हैं. घाटी में आतंकी घटनाओं के खिलाफ कर्मचारी पिछले 6 महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने बुधवार (21 दिसंबर) को महीनों से धरने पर बैठे लोगों को साफ हिदायत देते हुए कहा कि अगर घाटी में सेवारत कश्मीरी पंडित अपना काम नहीं करते हैं तो उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा.
प्रधानमंत्री विशेष रोजगार योजना के तहत घाटी लौटे करीब 6,000 कश्मीरी पंडित कर्मचारी टारगेट किलिंग के विरोध में पिछले छह महीने से अपने दफ्तर नहीं जा रहे हैं.
कश्मीरी पंडितों को हिदायत
लेफ्टिनेंट गवर्नर (Lieutenant Governor) मनोज सिन्हा ने कहा, "हमने 31 अगस्त तक उनके वेतन का भुगतान कर दिया है लेकिन जब वे घर बैठे हैं तो उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जा सकता है. यह उनके लिए एक स्पष्ट संदेश है. कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को इसे सुनना और समझना चाहिए." उन्होंने कहा कि विरोध कर रहे कर्मचारियों के साथ लगातार संपर्क में था और उनके मुद्दे को हल करने के लिए ईमानदार प्रयास किए.
ट्रांसफर के सवाल पर क्या बोले?
लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने स्पष्ट कर दिया कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को जम्मू में स्थानांतरित नहीं किया जाएगा. पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उन्हें पहले ही कश्मीर में जिला मुख्यालय पर तैनात किया जा चुका है. वहीं, ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत लोगों को तहसील और जिला मुख्यालय के पास के गांवों में शिफ्ट किया गया है. उपराज्यपाल ने कहा कि उनके प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों की शिकायतों को देखने के लिए हर जिले में और राजभवन में एक अधिकारी नियुक्त किया है.
टारगेट किलिंग के बढ़ते मामलों से नाराजगी
कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandits) कर्मचारी की टारगेट किलिंग और गैर-स्थानीय लोगों पर कई हमलों के बाद प्रवासी कश्मीरी पंडित और जम्मू-आधारित आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों ने मई में घाटी छोड़ दी थी. उनमें से ज्यादातर पहले ही जम्मू (Jammu) चले गए हैं. ये कर्मचारी खुद को जम्मू में स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि पिछले हफ्ते सरकार ने संसद को बताया था कि पिछले तीन सालों में कश्मीर में नौ पंडितों की हत्या की गई है.
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