श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सात साल बाद हो रहे स्थानीय निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 60 उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है. दरअसल, फारूख अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस (एनसी), महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने 35ए के मुद्दे पर चुनाव का बहिष्कार किया है. यही वजह है की बीजेपी ने निर्विरोध जीत दर्ज की है. राज्य में निगम चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान आठ अक्टूबर से शुरू होगा, जबकि पंचायत चुनाव नवंबर-दिसंबर में पूरे होंगे.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, नगर निकायों के 624 वार्डों के लिए चार चरणों में मतदान होना है. इनमें से तीन चरणों के नामांकन और नाम वापसी आदि के विवरण सामने आ चुके हैं. बीजेपी प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि बीजेपी के प्रत्याशी कश्मीर के 60 वार्डों में निर्विरोध जीत चुके हैं. यह संख्या बढ़ भी सकती है.
चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को लेकर भी काफी विवाद हो रहा है. दरअसल, बीजेपी ने पूर्व आतंकी मोहम्मद फारूक खान उर्फ सैफुल्लाह को टिकट दिया है. दरअसल, सैफुल्लाह 1988 में सरहद पार करने वाले आतंकियों में से एक है. 1990 में गिरफ्तार होने के बाद सैफुल्लाह कई साल तक जेल में रहा और जब रिहाई हुई तो उसने आतंक का रास्ता छोड़कर - एक आम नागरिक का जीवन जीने लगा. लेकिन इस दौरान उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
उन्होंने कहा, ''मैं जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और हरकत-उल-मुजाहिदीन में था. जेल से बाहर आने के बाद, मैंने पूर्व आतंकवादियों के पुनर्वास के लिए जम्मू-कश्मीर मानव कल्याण संगठन का गठन किया. किसी ने मुझे समर्थन नहीं दिया, यहां तक कि वे भी नहीं, जिनके लिए मैंने बंदूक उठाई थी. मुझे नहीं पता था कि वे केवल पैसे गिन रहे थे.''
कई सालों तक जूझने के बाद आखिर सैफुल्लाह ने राजनीति में शामिल होकर पूर्व आतंकियों और आम लोगों के लिए काम करने का फैसला लिया और इसी के लिए सैफुल्लाह ने बीजेपी का हाथ थामा. सैफुल्लाह श्रीनगर के वार्ड-33 से उम्मीदवार है.
सैफुल्लाह ने कहा, ''लोग मुझे पहले भी गालियां दे रहे थे और आज जब मैं शांति के लिए काम कर रहा हूं, तब भी मुझे गालियां मिल रही हैं. मैं पूर्व-आतंकवादियों और उनके बच्चों के पुनर्वास और उनकी पढ़ाई के लिए अपनी कमाई खर्च करूंगा और सबको जीतूंगा.''